इलाहाबाद उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति ने भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि के बाद एडीजे रैंक के तीन न्यायिक अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है, जबकि अन्य दो न्यायिक अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी कर दिया है।
कार्रवाई को लेकर अधिसूचना जारी
उच्च न्यायालय में प्राप्त शिकायतों की जांच के बाद प्रशासनिक समिति में पांच न्यायिक अधिकारियों पर लगे आरोपों पर विचार किया। आरोपों की पुष्टि के बाद एडीजे रैंक के तीन न्यायिक अधिकारियों की सेवा समाप्त करने आदेश दिया गया, जबकि दो अन्य न्यायिक अधिकारियों पर लगे आरोपों पर विचार के बाद उन्हें मामले से बरी कर दिया है। तीन न्यायिक अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। इस कार्रवाई को लेकर अभी अधिसूचना जारी नहीं की गई है, लेकिन उम्मीद है कि इसे शीघ्र जारी किया जाएगा।
अत्याचार निवारण अधिनियम शामिल
उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा के जिन अधिकारियों को न्यायिक कदाचार का दोषी पाया गया है उनमें- अशोक कुमार सिंह (षष्ठम एडीजे), हिमांशु भटनागर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश और डॉ. राकेश कुमार नैन विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम शामिल हैं।
इस तरह रहा कार्यकाल
-28 मार्च 2001 को अशोक कुमार सिंह को अतिरिक्त सिविल जज (जूनियर डिवीजन) गाजीपुर के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें 04 जुलाई 2015 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बदायूं के रूप में नियुक्त किया गया। 11 जुलाई 2015 को उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
-हिमांशु भटनागर को 19 मार्च 1996 को अतिरिक्त सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद 16 अप्रैल 2021 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलिया के रूप में नियुक्त किया गया। वहीं, डॉ. राकेश कुमार नैन 11 अगस्त 1999 को प्रदेश की न्यायिक सेवा में आए थे। वह सिद्धार्थनगर में विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम) रहे हैं।
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