अमेरिका ने भारत को मुद्रा निगरानी सूची से दो साल बाद बाहर कर दिया है। अमेरिका ने इस सूची से इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को भी मुद्रा निगरानी सूची से बाहर किया है वहीं चीन को इस सूची में अभी भी बरकरार रखा गया है। इसकी जानकारी ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस को दी गई अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है। गौरतलब है कि किसी देश की विदेशी विनिमय नीति पर संदेह होने पर अमेरिका निगरानी सूची में डाल देता है।
वित्त मंत्री से भेंट के बाद आया निर्णय
अमेरिका द्वारा यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब यूएस ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन नई दिल्ली के दौरे पर हैं। दिल्ली दौरे पर उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुलाकात और वार्ता भी की। येलेन की भारत यात्रा से पहले अक्तूबर में भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका गई थीं। उन्होंने अमेरिकी वित्त मंत्री येलेन के साथ वर्तमान वैश्विक आर्थिक हालात पर चर्चा की थी।
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गौरतलब है कि ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस को सौंपी गई अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि वर्तमान में मुद्रा निगरानी सूची में चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान शामिल हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटा दिया गया है, वे लगातार दो रिपोर्टों के लिए तीन मानदंडों में से केवल एक को पूरा कर पाए हैं।
चीन पर अब भी निगरानी
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी मुद्रा विनिमय को प्रकाशित करने में चीन की विफलता और इसकी विनिमय दर तंत्र की प्रमुख विशेषताओं के आसपास पारदर्शिता की व्यापक कमी के कारण इस पर ट्रेजरी की निगरानी की जरूरत है। वहीं, इसमें बताया गया है कि स्विट्ज़रलैंड ने एक बार फिर तीनों मानदंडों के लिए बनाए गए पैरामीटर को पार कर लिया है।
ट्रेजरी सचिव येलन ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध और उससे पहले कोविड-19 की वजह से आपूर्ति और मांग में असंतुलन से निपट रही थी। इन दोनों वजहों के कारण ही खाद्य, उर्वरक और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि हुई है।
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