अमित शाह ने इस बैंक को बताया ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की रीढ़, ये है कारण

वर्ष 1982 में नाबार्ड कृषि वित्त में अल्पकालिक ऋण सिर्फ 896 करोड़ रुपये था, लेकिन आज 1.58 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है। दीर्घकालिक ऋण की बात करें तो नाबार्ड आज 2300 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ग्रामीण अर्थ व्यवस्था, कृषि और सहकारी समितियों के विकास की रीढ़ है। बिना नाबार्ड के गांवों के विकास की कल्पना करना संभव नहीं है।

शाह बुधवार को नाबार्ड के 42वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1982 में नाबार्ड कृषि वित्त में अल्पकालिक ऋण सिर्फ 896 करोड़ रुपये था, लेकिन आज 1.58 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है। दीर्घकालिक ऋण की बात करें तो नाबार्ड आज 2300 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

शाह ने कहा कि नाबार्ड अपनी अब तक की यात्रा में 14 फीसदी की वृद्धि के साथ 20 लाख करोड़ रुपये ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में फाइनेंस कर चुका है। नाबार्ड, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और अन्य आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में भी अहम योगदान दे रहा है। नाबार्ड, ग्रामीण बैंकिंग को सुलभ बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के साथ समृद्धि सुनिश्चित कर रहा है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड को तय करना चाहिए कि वह आगामी 25 वर्षों में क्या करने जा रहा है। जब देश आजादी के 100 वर्ष मनाएगा तो नाबार्ड की इस विकास यात्रा में क्या भूमिका रहेगी।

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