अमरावती की सांसद नवनीत राणा के पिता हरभजन सिंह कौर को शिवडी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के न्यायालय ने जाति प्रमाण पत्र सत्यापन मामले में फरार घोषित कर दिया है। साथ ही नवनीत राणा और उनके पिता पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इस पर आगे की सुनवाई 16 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
यह है मामला
नवनीत राणा अमरावती के उस लोकसभा क्षेत्र से चुनी गई थीं, जो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित था। नवनीत राणा ने यह दावा करते हुए चुनाव लड़ा कि वे अनुसूचित जाति से हैं। हालांकि, यह पाया गया कि उनके द्वारा दायर एससी प्रमाणपत्र और स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र हेरफेर करके प्राप्त किया गया है। उसके बाद मुलुंड थाने में नवनीत राणा और उनके पिता हरभजन सिंह कौर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उनके खिलाफ एक महीने में दो बार वारंट जारी किया। इसके खिलाफ, राणा बॉम्बे सत्र न्यायालय पहुंचीं और याचिका दायर कर उन्हें मामले में बरी करने का अनुरोध किया। इस याचिका को बॉम्बे सेशंस कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस बीच, नवनीत राणा का जाति प्रमाण पत्र बॉम्बे हाई कोर्ट ने 8 जून, 2021 को रद्द कर दिया। उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। हाईकोर्ट के इस फैसले से नवनीत राणा का सांसद पद खतरे में पड़ गया।
शिवसेना ने दी थी चुनौती
शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल और सुनील भालेराव ने 2017 में हाई कोर्ट में नवनीत राणा के निर्वाचन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। सांसद नवनीत राणा ने चुनाव आवेदन के साथ जो हलफनामा दायर किया है, उसमें अनुसूचित जनजाति के संबंध में दिया गया प्रमाण पत्र फर्जी है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उन्होंने जाति प्रमाणन समिति के समक्ष अपनी जाति का झूठा दावा किया था। उसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए नवनीत राणा का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया। उसके बाद सांसद नवनीत राणा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 22 जून 2021 को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने नवनीत कौर राणा को राहत देते हुए जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
शिवडी न्यायालय से झटका
30 जनवरी की सुनवाई में शिवड़ी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सांसद नवनीत राणा को झटका दिया है। शिवड़ी कोर्ट ने माना है कि सुप्रीम कोर्ट और मुलुंड थाने में दायर दोनों मामले अलग-अलग हैं। यदि आप एक महीने के भीतर न्यायालय में पेश नहीं होते हैं, तो संपत्ति जब्त होने की आशंका है।