पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख तीसरी बार समन भेजे जाने के बाद भी प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश नहीं हुए। उनके स्थान पर वकील इंद्रपाल सिंह ही एजेंसी कार्यालय में प्रस्तुत हुए। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय में तीसरी बार बुलाए जाने पर डांडी मारनेवाले अनिल देशमुख ने सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई है। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए याचिका दायर की है।
अनिल देशमुख एक के बाद एक समन पर पेश नहीं हो रहे हैं। तीसरी बार समन भेजे जाने के बाद अनिल देशमुख की ओर से जानकारी मिली है कि उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से ईसीआईआर कॉपी की मांग की है इसके अलावा उन्हें जो कागज चाहिये वह बताएं। अनिल देशमुख को 100 करोड़ रुपए की धन उगाही के लिए पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाने और उनकी पारिवारिक कंपनियों में निवेश को लेकर केंद्रीय एजेंसी द्वारा बुलाए जाने की चर्चा है।
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प्रवर्तन निदेशालय को अनिल देशमुख की ओर से एक पत्र भेजा गया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि, एक नागरिक के रूप में यह मेरा मौलिक, संवैधानिक अधिकार है कि निष्पक्ष, भेदभाव रहित, बदले की भावना से रहित और पारदर्शी जांच हो। वर्तमान परिस्थितियों में इस आशंका के बहुत से प्रमाण और कारण है कि देश के कानून को दरकिनार किया जा रहा है और जो जांच की जा रही है वह निष्पक्ष नहीं है।
अनिल देशमुख ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि, न्यायालय में दायर उनकी याचिका पर आदेश आने तक कुछ दिन के लिए समन को टाला जाए। इसके पहले अनिल देशमुख ने ईडी से ऑडियो या वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से पूछताछ करने का निवेदन किया था।
देशमुख के दो सहयोगी गिरफ्तार
अनिल देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को ईडी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। अपनी रिमांड कॉपी में ईडी ने आरोप लगाया है कि चार करोड़ रुपए से अधिक बार मालिकों से एकत्रित किये गए हैं। यह दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच इकट्ठा किया गया। इसे अनिल देशमुख की चार शेल कंपनियों के माध्यम से नागपुर स्थित चैरिटेबल संस्था में भेजे गए हैं। इसके अलावा सीबीआई की लाइन पर ही ईडी भी अनिल देशमुख के आर्थिक व्यवहार की भी जांच कर रही है। यह वह व्यवहार हैं जिसको लेकर मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाए थे।