Anti-India Fatwa: दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए ‘भारत विरोधी’ फतवे’ (Anti-India Fatwa) पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) (एनसीपीसीआर) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सहारनपुर (Saharanpur) के जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया है। जिला स्तर पर जांच कर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
एनसीपीसीआर के पत्र के अनुसार, मदरसा दारुल उलूम देवबंद द्वारा जारी फतवा ‘गज़वा-ए-हिंद’ (Ghazwa-e-Hind) को वैधता देता है और ‘देश के खिलाफ नफरत पैदा कर सकता है।’ पत्र के अनुसार, “आयोग को दारुल उलूम देवबंद मदरसे की वेबसाइट पर एक और आपत्तिजनक सामग्री मिली है, फतवा भारत पर आक्रमण (गज़वा-ए-हिंद) के बारे में बात करता है और जो कोई भी इसमें शहीद होगा वह एक महान शहीद है। ‘दारुल उलूम देवबंद, एक मदरसा इस्लामी शिक्षा का एक अकादमिक निकाय है और पूरे दक्षिण एशिया में मदरसों को संबद्ध करता है। इस तरह के फतवे बच्चों में अपने ही देश के प्रति नफरत पैदा कर रहे हैं और अंततः उन्हें अनावश्यक मानसिक या शारीरिक पीड़ा पहुंचा रहे हैं।”
#WATCH | On Darul Uloom Deoband issuing fatwa on ‘Ghazwa e Hind’, DM Saharanpur Dr.Dinesh Chandra says, “NCPCR has directed to file FIR in this matter. SDM Deoband and police have gone to Darul Uloom. Further action will taken accordingly.” pic.twitter.com/hvEIhZXUbd
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 22, 2024
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फतवे की सामग्री देश विरोधी
पत्र में आगे कहा गया है कि फतवा “नाबालिकर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 75 का उल्लंघन करता है,” एनसीपीसीआर द्वारा सहारनपुर डीएम और एसएसपी को भेजे गए पत्र में कहा गया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) देश में बाल अधिकारों और अन्य संबंधित मामलों की रक्षा के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा 3 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है। आयोग ने आगे कहा, “सीपीसीआर अधिनियम की धारा 13 (1) (जे) के तहत मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए, यह देखा गया कि फतवे की सामग्री से देश के खिलाफ नफरत पैदा हो सकती है।”
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राज्य के खिलाफ अपराध
पत्र का हवाला दिया गया है की, “केदार नाथ सिंह बनाम बिहार राज्य, AIR 1962 SC 955 में, न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि धारा 124A के तहत ‘कानून द्वारा स्थापित सरकार’ वाक्यांश को किसी विशिष्ट पार्टी या व्यक्तियों की आलोचना से अलग किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि इस व्याख्या को आईपीसी के संबंधित अध्याय के शीर्षक से समर्थन मिलता है, जिसका शीर्षक है ‘राज्य के खिलाफ अपराध’। इसलिए, देश यानी भारत के खिलाफ नफरत को उक्त प्रावधान (संदर्भ कन्हैया कुमार बनाम एनसीटी दिल्ली राज्य) के तहत कवर किया जाएगा।”
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