महाराष्ट्र (Maharashtra) के ऐतिहासिक गढ़-किलों (Forts) पर हो रहे अतिक्रमण (Encroachment) का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है। विशाळगढ़ (Vishalgad) पर अतिक्रमण के विवाद ने इस समस्या को गंभीर रूप दिया था। इसके बाद गढ़-किलों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार (State Government) ने ठोस कदम उठाने का फैसला किया है। सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशिष शेलार (Ashish Shelar) ने घोषणा की है कि 1 फरवरी से 31 मई के बीच गढ़-किलों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने का कार्य किया जाएगा।
गढ़-किलों के संरक्षण के लिए जिलास्तरीय समिति का गठन
गढ़-किलों के संरक्षण और अतिक्रमण रोकने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिलास्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति में संबंधित पुलिस अधिकारी, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वन विभाग के उप वन संरक्षक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे।
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महाराष्ट्र के गढ़-किलों की स्थिति
महाराष्ट्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत 47 केंद्र संरक्षित किले हैं, जबकि राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय संचालनालय के अंतर्गत 62 राज्य संरक्षित किले हैं। इसके अलावा, लगभग 300 असंरक्षित गढ़-किले भी हैं। गढ़-किलों पर हो रहे अतिक्रमण के कारण उनका सांस्कृतिक महत्व कम हो रहा है और कानून-व्यवस्था पर भी खतरा मंडरा रहा है।
कार्यवाही के लिए समय सीमा
समिति को 31 जनवरी 2025 तक सभी गढ़-किलों पर अतिक्रमण की सूची तैयार करने और इसे राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है। 1 फरवरी से 31 मई के बीच अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाएगा।
उद्देश्य और कार्ययोजना
– गढ़-किलों पर से अतिक्रमण हटाना।
– ऐतिहासिक धरोहरों का सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना।
– नए अतिक्रमण को रोकने के लिए सख्त उपाय अपनाना।
– केंद्र और राज्य संरक्षित किलों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देना।
जिम्मेदार संस्थाएं और विभाग
– जिलाधिकारी (अध्यक्ष)
– पुलिस आयुक्त / जिला पुलिस अधीक्षक
– जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी
– संबंधित वन विभाग के अधिकारी
– भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग
– राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय संचालनालय
सरकार के निर्देशानुसार कार्यवाही
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में अतिक्रमण हटाने के अभियान को तेज किया जाएगा। समिति को समय-समय पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करनी होगी।
गढ़-किलों के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार के इस कदम से महाराष्ट्र के ऐतिहासिक गढ़-किलों का संरक्षण होगा और उनकी सांस्कृतिक विरासत संरक्षित रहेगी। राज्य की जनता को भी इस अभियान में सहयोग देने की अपील की गई है।
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