– अमन दुबे
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में तीन चरणों (Three Phases) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) हो चुके हैं और अब सभी को परिणाम (Results) का इंतजार है। जम्मू-कश्मीर चुनाव (Jammu and Kashmir Elections) के परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे, अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories) में कौन आगे चल रहा है और कौन सी पार्टी सरकार बनाने की ओर आगे बढ़ रही है। अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के करीब 5 साल बाद घाटी में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए।
तीन चरणों में मतदान
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के 90 सदस्यों के चुनाव के लिए तीन चरणों में मतदान हुए थे। पहले चरण का मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण का 25 सितंबर और तीसरे व अंतिम चरण का मतदान एक अक्टूबर को हुआ है। चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित होंगे।
कुल 62.80 प्रतिशत मतदान
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव तीन चरणों में हुए थे। 18 सितंबर को पहले चरण में 24 सीटों पर 61 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके बाद 25 सितंबर को दूसरे चरण में 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर 57.31 प्रतिशत मतदान हुआ और 1 अक्टूबर को तीसरे चरण में 40 सीटों पर 69.65 प्रतिशत मतदान हुआ। तीसरे चरण में मतदान प्रतिशत पहले और दूसरे चरण से ज्यादा रहा। जम्मू-कश्मीर की सभी 90 सीटों पर कुल मतदान 62.80 प्रतिशत रहा। हालांकि जम्मू-कश्मीर में कुल मतदान प्रतिशत 2014 के विधानसभा चुनावों की तुलना में कम रहा।
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पिछले चुनावों के परिणाम
जम्मू कश्मीर में आखिरी चुनाव 2014 में हुए थे, जो 25 नवंबर से 20 दिसंबर 2014 तक पांच चरणों में पूरे हुए थे। 87 विधानसभा सीटों वाले जम्मू कश्मीर के चुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को 28 सीटें, भाजपा को 25 सीटें मिली थीं। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15, इंडियन नेशनल कांग्रेस को 12, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को एक, जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट को एक, जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को दो और तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
शांति, सुरक्षा और विश्वास के माहौल में संपन्न चुनाव
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव बिना किसी हिंसा या खून-खराबे के शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए। कोई बड़ी आतंकी हिंसा नहीं हुई, न ही दोबारा चुनाव कराने की जरूरत पड़ी। जम्मू-कश्मीर में 1987 के बाद पहली बार शांति, सुरक्षा और विश्वास के माहौल में हुए विधानसभा चुनावों की तैयारियां एक-दो महीने पहले नहीं, बल्कि चार साल पहले ही शुरू हो गई थीं।
कई मायनों में खास रहा
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास रहा। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों, वाल्मीकि समुदाय और गोरखा समुदाय के सदस्यों ने मतदान किया है। चुनाव आयोग ने कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में धन और शक्ति की भूमिका भी काफी हद तक सीमित रही। विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वित प्रयासों से चुनाव के दौरान कुल 130 करोड़ रुपये जब्त किए गए, जो जम्मू-कश्मीर चुनाव के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी राशि है। आयोग ने कहा कि जब्ती में 110.45 करोड़ रुपये की ड्रग्स भी शामिल है। लोकसभा चुनाव के दौरान यह आंकड़ा 100.94 करोड़ रुपये से अधिक था।
बदलाव की हवा
राजनीतिक विशेषज्ञ और दिल्ली में रहने वाले अंकित द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव पर कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के करीब 10 साल बाद घाटी में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। इसका श्रेय मोदी सरकार को जाता है। चुनाव की घोषणा से पहले जिस तरह से हर दिन आतंकी हमले हो रहे थे, उससे यहां चुनाव कराना काफी चुनौतीपूर्ण लग रहा था। लेकिन चुनाव आयोग, सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, बीएसएफ और सीआरपीएफ समेत देश की विभिन्न सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की रणनीति सफल रही और जम्मू-कश्मीर में बदलाव देखने को मिला। वहीं, दूसरी ओर लोगों ने भी इस चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और वोट डाले। उन्होंने आगे कहा कि इस चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्रालय की अहम भूमिका रही। यही कारण है कि तीनों चरणों में चुनाव बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुए। (J&K Election 2024)
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