लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को समुद्र के रास्ते जिहादी हमले के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। विश्व स्तर पर सक्रिय जिहादी संगठनों में समुद्री जिहाद का विशेष महत्व है। यह जानकरी देते हुए रॉ के पूर्व अधिकारी कर्नल आरएसएन सिंह ने चेतावनी दी, “इस भ्रम में न रहें कि इस तरह का जिहादी प्रशिक्षण केवल पाकिस्तान में दिया जा रहा है और 26/11 जैसा आतंकवादी हमला दोबारा नहीं होगा।”
विशेष साक्षात्कार में किए कई सनसनीखेज खुलासे
कर्नल सिंह ने ‘नो द एंटी-नेशनल’ नाम से किताब लिखी है, जिसका हिंदी में अनुवाद किया गया है। आतंकवादियों ने 26/11 पर हमला कैसे किया? इसके पीछे कौन लोग थे? इसका पूरा खुलासा किताब में किया गया है। इस पृष्ठभूमि में हिंदुस्थान पोस्ट ने कर्नल आरएसएन सिंह से विशेष साक्षात्कार लिया। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ और हिंदुस्थान पोस्ट की सलाहकार संपादक मंजिरी मराठे द्वारा लिए गए इस साक्षात्कार में उन्होंने 26/11 के साथ ही देश की सुरक्षा को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए। उन्होंने कहा कि इन जिहादी संगठनों से भारत समेत कई देशों को खतरा आज भी बना हुआ है।
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तालिबानियों से संबंध
कर्नल सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान पर फिलहाल तालिबान का कब्जा हो गया है। मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद उससे जुड़े हुए हैं। मुंबई हमला स्थानीय जिहाद का ही एक हिस्सा था। इसमें दाऊद के कुछ साथियों ने भी साजिश रची थी। तालिबान का समर्थन कौन करता है, कौन उन्हें हथियारों की आपूर्ति करता है, इस पर चर्चा होती है, लेकिन इन आतंकवादियों का माइंड वॉश कहां किया जाता है, यह पता लगाना सबसे महत्वपूर्ण है।
भारत के भी जिहादी लहर में डूबने का खतरा
कर्नल सिंह ने कहा कि तालिबानी देवबंद विचारधारा से जुड़े हुए हैं। आज अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा है। लेकिन कई लोग चिंतित हैं कि भारत भी उस जिहादी लहर में डूब सकता है। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा तालिबान से संबद्ध हैं और ये संगठन भी देवबंद विचारधारा के हैं। उन्होंने कहा, “भले ही इन सभी जिहादियों को कहीं से भी हथियारों की आपूर्ति की जा रही हो, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि देवबंद के विचार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से आते हैं।”