Bangladesh Crisis: बांग्लादेश (Bangladesh) के छात्रों का आंदोलन (students’ movement) बांग्लादेश की प्रधानमंत्री (Prime Minister of Bangladesh) और वहाँ के सभी हिंदुओं को देश से भगाने के लिए रची गई एक पूर्वनियोजित जिहादी साजिश (Jihadi conspiracy) है। हिंदुओं पर हो रहे हमलों के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आई.एस.आई.’, चीन और अमेरिका का हाथ है। यह बांग्लादेश को अस्थिर करने का प्रयास है।
इसलिए हम भारतीय सरकार से बांग्लादेश के हिंदुओं को तुरंत बचाने की अपील करते हैं, ऐसा ढाका, बांग्लादेश स्थित ‘वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन बांग्लादेश और यूरोपियन यूनियन चैप्टर’ के प्रधान सचिव श्री. दीपेन मित्रा ने कहा। वे हिंदू जनजागृति समिति की ओर से ‘चर्चा हिंदू राष्ट्र की…’ इस विशेष संवाद में ‘फिर एक बार बांग्लादेश में हिंदुओं का नरसंहार?’ इस विषय पर बोल रहे थे।
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बांग्लादेश में 2.5 करोड़ हिंदू
इस अवसर पर श्री. दीपेन मित्रा ने आगे कहा कि आज बांग्लादेश में 2.5 करोड़ हिंदू हैं; लेकिन हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। हिंदुओं को किसी भी प्रकार का न्याय नहीं मिलता। बांग्लादेश सरकार, नेता या सेना की ओर से हिंदुओं को कोई सहायता नहीं मिलती। अन्य घटनाओं में मानवता पर अत्याचार होते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र संघ, मानवाधिकार संगठन बहुत शोर मचाते हैं, लेकिन यहाँ बांग्लादेश के हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं, तब हिंदुओं के लिए कोई कुछ नहीं बोलता; क्योंकि उनके लिए हिंदू इंसान नहीं हैं। इसलिए हम भारतीय सरकार से बांग्लादेश के हिंदुओं को तुरंत बचाने की अपील करते हैं।
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अगर बांग्लादेश के हिंदुओं को बचाना है, तो भारत को ठोस और आक्रामक भूमिका अपनानी चाहिए!
‘पश्चिम बंगेर जन्य’ के संस्थापक सचिव श्री. प्रकाश दास ने कहा कि 1972 में जिस इस्कॉन मंदिर ने बांग्लादेश के लोगों को छह महीने तक भोजन दिया, उन्हीं लोगों ने इस आंदोलन में उस इस्कॉन मंदिर को जला दिया। 1971 में भारत ने सैन्य कार्रवाई करके बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई थी। उस समय 25 लाख हिंदू मारे गए थे और हजारों महिलाओं पर अत्याचार हुआ था। आज वही स्थिति दोबारा हो रही है। छात्र आंदोलन केवल एक मुखौटा है। असल में इस आंदोलन के पीछे जिहादियों की साजिश है। बांग्लादेश के हिंदुओं को न्याय दिलाने के लिए भारत को मजबूत और आक्रामक भूमिका अपनानी चाहिए। जैसे इज़राइल अपने देश और धर्म के लिए लड़ता है, वैसे ही हमें भी आत्मरक्षा के लिए हथियार उठाने की जरूरत है। अगर भारत को बांग्लादेश के हिंदुओं को बचाना है, तो ठोस और आक्रामक कदम उठाने होंगे। ‘दुनिया क्या कहेगी?’ यह विचार छोड़कर ठोस कार्रवाई करनी आवश्यक है, ऐसा उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा।
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