Bangladesh: बांग्लादेश (Bangladesh) में शेख हसीना सरकार (Sheikh Hasina government) के बाद डॉ. मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) के नेतृत्व में नई सरकार (new government) बनी। लेकिन डॉ. यूनुस के कार्यकाल में हिंदुओं पर हमले, हत्या, लूटपाट, महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार (Hindus atrocities), जबरन विस्थापन और मंदिरों का विध्वंस जैसी घटनाओं में भयावह वृद्धि हुई।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय और अन्य समूहों को सुरक्षित माहौल देने में डॉ. मोहम्मद यूनुस पूरी तरह विफल रहे हैं। इस विफलता को लेकर पूरे भारत में हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया है।
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‘पर्सन ऑफ द ईयर’ पुरस्कार
हिंदू जनजागृति समिति ने मांग की है कि 2007 में सकाल समूह द्वारा डॉ. मोहम्मद यूनुस को दिए गए ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ पुरस्कार, जिसे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता और तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के हाथों प्रदान किया गया था, को तुरंत वापस लिया जाए। महाराष्ट्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण की जोरदार वकालत करने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) का यह दोहरा मापदंड क्यों है? बांग्लादेश के हिंदू, बौद्ध, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों के प्रति सहानुभूति क्यों नहीं दिखाई जाती?
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मोहम्मद यूनुस की चुप्पी न केवल अचंभित
क्या बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत के अल्पसंख्यकों की तरह सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार नहीं है? बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर बढते अत्याचारों और डॉ. मोहम्मद यूनुस की चुप्पी न केवल अचंभित करने वाली है, बल्कि मानवता और मानवाधिकारों के विरुद्ध है। हिंदू जनजागृति समिति ने राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) से इन अत्याचारों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने और डॉ. यूनुस को दिया गया पुरस्कार तुरंत वापस लेने की मांग की है।
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