Bangladeshi Infiltrators: बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर निकलना. . . जन आंदोलन जरूरी, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

जब भारत से घुसपैठियों को बाहर निकालने की बात होती है तो अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की तलाश शुरू हो जाती है। ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) हेमंत महाजन कहते हैं कि भारत में 4 तरह के बांग्लादेशी घुसपैठिये पाए जाते हैं।

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बांग्लादेशी घुसपैठ (Bangladeshi Infiltration) का मुद्दा अब देशभर में खूब चर्चा में है। कई देश भक्त और हिंदू इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ा रहे हैं। इस विषय पर कई सम्मेलन और सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं। भारत (India) के विभिन्न क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठियों (Bangladeshi Infiltrators) की घुसपैठ को देखते हुए उन्हें देश से बाहर निकालना निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण है।

महाराष्ट्र (Maharashtra) को ध्यान में रखते हुए, बांग्लादेशी मजदूर बड़ी संख्या में निर्माण क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं। प्रदेश में सरकार द्वारा कई स्थानों पर बुनियादी सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं। रेलवे का बुनियादी ढांचा भी तैयार किया जा रहा है। इनमें से अधिकतर साइटों पर बांग्लादेशी मजदूर काम कर रहे हैं। बांग्लादेशी फेरीवालों के बिना अब खरीदारी नहीं होती। यह बताया गया है कि जो लोग सिग्नल पर सामान बेचते हैं, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों में काम करते हैं जहां उन्हें बहुत समय या कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, बड़े शहरों में घरेलू सहायक, दूरदराज के इलाकों में होटलों में सभी तरह के काम करते हैं, कचरा बीनते हैं। विभिन्न शहरों में सभी बांग्लादेशी कट्टरपंथी हैं। शहरी इलाकों के साथ-साथ कोंकण में भी बांग्लादेशी और नेपाली लोग बड़ी संख्या में देखे जाते हैं। बांग्लादेशी अब कोंकण में मछली पकड़ने, रेत खनन, नारियल निकालने का काम भी कर रहे हैं। संक्षेप में, केवल एक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन के कई क्षेत्रों में बांग्लादेशियों की घुसपैठ हो चुकी है।

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बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रकार
जब भारत से घुसपैठियों को बाहर निकालने की बात होती है तो अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की तलाश शुरू हो जाती है। ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) हेमंत महाजन कहते हैं कि भारत में 4 तरह के बांग्लादेशी घुसपैठिये पाए जाते हैं।

आए दिन बांग्लादेशी घुसपैठिये सीमावर्ती इलाकों से भारतीय सीमा में प्रवेश करते हैं। वे उस क्षेत्र में रिक्शा चलाने के लिए भारत आते हैं। वे सुबह आते हैं और दिन भर काम करने के बाद शाम को वापस चले जाते हैं। यह प्रकार मेघालय, त्रिपुरा, अगरतला में भी पाया जाता है।

भारत में रहने वाले 70 प्रतिशत बांग्लादेशी घुसपैठियों के पास भारतीय आधार कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेज हैं। भले ही वह फर्जी सबूत दिखाकर या भ्रष्टाचार करके प्राप्त किया गया हो; लेकिन उनके पास दस्तावेज़ हैं। इसलिए ऐसे बांग्लादेशी घुसपैठियों को ढूंढना और उन्हें वापस बांग्लादेश भेजना एक बड़ी चुनौती होने वाली है। अगर कुछ बांग्लादेशियों के पास भारतीय दस्तावेज नहीं पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है और उन्हें देश से बाहर निकाला जा सकता है। कुछ बांग्लादेशियों ने भारत में रहने के लिए अपना नाम बदल लिया है। उनकी पत्नियां गले में मंगलसूत्र पहनती हैं और कुंकु भी लगती हैं। इसलिए इन्हें पहचानना भी मुश्किल होता है।

स्थानीय लोग बांग्लादेशी घुसपैठियों की मदद करते हैं
आज भारत में 5-6 करोड़ घुसपैठिये हैं। भारत के प्रशासनिक कार्यों में इतने बड़े पैमाने पर घुसपैठ हुई है और घुसपैठ जारी है। 30-35 लोग एक बांग्लादेशी घुसपैठिये मुस्लिम को भारतीय व्यवस्था में मदद करते हैं। उनमें से कई लोग जानते हैं कि वे बांग्लादेशी घुसपैठियों की मदद कर रहे हैं। हालांकि, ऐसा राष्ट्रविरोधी कृत्य केवल आर्थिक लालच के लिए किया जाता है। भारतीय सिस्टम में घुसपैठ करने के लिए इन बांग्लादेशियों को कोलकाता में 2 दिनों तक ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद इसे उस क्षेत्र में पहुंचाया जाता है, जहां उनके रोजगार की सुविधा होती है। इसलिए न सिर्फ बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेड़ा जाएगा, बल्कि भारत में उनकी मदद कौन कर रहा है, इसका भी पता लगाकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

उन लोगों का क्या जिन्हें दस्तावेज़ मिल गए?
70 प्रतिशत बांग्लादेशी घुसपैठियों के पास भारत के आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज हैं। इसका मतलब यह है कि देश की सुरक्षा की कीमत पर प्रशासनिक स्तर पर भारी भ्रष्टाचार चल रहा है। जिनके पास निवासी प्रमाण पत्र नहीं है, उन्हें बैंक खाता खोलने या किसी अन्य कार्य के लिए स्थानीय पार्षद या जन प्रतिनिधि का प्रमाण पत्र निवासी प्रमाण पत्र के रूप में दिखाने की अनुमति है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कट्टर इलाकों में वोट मजबूत करने के लिए ऐसे हजारों लोगों को जन प्रतिनिधियों ने प्रमाणपत्र दिया होगा। वे अपने क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में जानकारी नहीं देना चाहते। आधिकारिक दस्तावेज पहले ही तैयार हो चुके हैं, अगर स्थानीय लोगों से कोई जानकारी नहीं मिलती है, तो पुलिस बल असहाय है।

जिनके पास आधार कार्ड है उन्हें अपने देश से निकाला जाना मुश्किल है। ऐसे में अगर उन्हें सरकार द्वारा जमा की गई वंशावली जमा करने का आदेश दिया जाए तो आसानी से पहचान की जा सकती है कि वे भारतीय नागरिक हैं या बांग्लादेशी या किसी अन्य देश से आए घुसपैठिए हैं।

बांग्लादेशी घुसपैठिये कट्टरपंथियों को बाहर निकालने के लिए तलाशी अभियान चलायें!
ऐसे में बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने के लिए पुलिस प्रशासन को मजबूत कर देशभर में कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाना जरूरी है। देश में बन रहे कई स्तरों के रोजगार और बुनियादी ढांचे का लाभ भारतीय नहीं बल्कि बांग्लादेशी घुसपैठिये कट्टरतापूर्वक उठा रहे हैं। जगह-जगह झुग्गियां बनाकर शहर पैसा कमा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यधारा का मीडिया इस बढ़ती समस्या के बारे में बात करने को तैयार नहीं है। बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालना कुछ नेताओं को छोड़कर किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में नहीं है। जिन बाज़ारों और उद्योगों पर उन्होंने कब्ज़ा कर लिया है उन्हें पाने की भारतीयों में कोई चाहत नहीं है। इसलिए अब लोगों के लिए जरूरी है कि वे अपने प्रांत में रहने के लिए आने वाले लोगों पर नजर रखें और उनके बारे में तुरंत पुलिस को सूचित करें। यदि जनता एकमत से मांग करे तो सरकार को बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या पर ध्यान देना ही पड़ेगा, यह तय है!

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