फर्जी टीआरपी मामले का पर्दाफाश होने के बाद खबर दिखानेवाले कई चैनल और मीडियाकर्मी खुद खबर बन गए थे। मामले में घमासान ऐसा मचा कि अबतक थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC)ने बड़ा फैसला लिया है। बार्क ने खबरिया टीवी चैनलों की साप्ताहिक जारी होनेवाली रेटिंग पर फिलहाल रोक लगा दी है। ये रोक अस्थाई रुप से सभी भाषाओं के न्यूज चैनलों की रेटिंग पर 12 हफ्तों के लिए लगाई गई है।
फर्जीवाड़े को नाकाम करने की कवायद
एक अधिकारी ने बताया कि हाल की घटना के मद्देनजर बार्क बोर्ड ने प्रस्ताव दिया था कि माप के मौजूदा मानकों और डाटा जमा करने के तरीकों को बेहतर बनाने की जरुरत है। इसके साथ ही काउंसिल ने कहा है कि मॉनिटरिंग वाले घरों में घुसपैठ के प्रयासों को नाकाम करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
मामले में पांच लोग गिरफ्तार
फर्जी टीआरपी मामले का पर्दाफाश तब हुआ,जब कुछ घरों में खास चैनल चलाने के लिए रिश्वत देने की बात सामने आई। इन घरों में टीआरपी उपकरण इन्सटॉल्ड किये गए थे। इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें मराठी और बॉक्स सिनेमा चैनलों के मालिकों के आलावा टीआरपी का डाटा कलेक्ट करनेवाली एक मार्केटिंग रिसर्च एजेंसी के पूर्व कर्मचारी शामिल हैं। इस मामले में एक व्यक्ति से आठ लाख रुपए भी जब्त किए गए हैं।
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आश्चर्यजनक मामले का खुलासा
इस मामले में आश्यर्यजनक खुलासे हुए थे। कई ऐसे घरों में इंग्लिश गाने दिन-रात बजते रहते थे, जिनमें कोई बुजुर्ग और ऐसे लोग रहते थे, जिन्हें इंग्लिश समझ में भी नहीं आती थी। जिन घरों में ये मीटर लगाए जाते थे, उनमें से कुछ ने स्वीकार किया है कि उन्हें टीवी ऑन रखने के लिए पैसे दिए गए थे। उन्हें अपने घरों में सिर्फ खास टीवी चैनल ऑन रखने के लिए कहा जाता था, भले ही वे उसे न देखें।
मुंबई पुलिस कमिश्नर ने किया खुलासा
पिछले हफ्ते मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने दावा किया था कि विज्ञापनदाताओं से ज्यादा ले ज्यादा राजस्व जुटाने के लिए कई चैनलों ने टीआरपी के साथ छेड़छाड़ की थी। हालांकि टीवी चैनलों ने इस दावे को खारिज किया था।
क्या है बार्क?
बार्क भारत में टीवी चैनलों के लिए हर हफ्ते रेटिंग प्वाइंट्स जारी करता है। बार्क मीडिया इंडस्ट्री की ही एक यूनिट है, जिसका गठन सटीक, विश्वसनीय और समय पर टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए किया गया है। यह टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया( ट्राई) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सिफारिशों के मार्गदर्शन में काम करता है।
क्या होता है टीआरपी
टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट यानी टीआरपी एक ऐसा उपकरण है, जिससे पता लगया जाता है कि कौन-सा प्रोग्राम या टीवी चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। इससे किसी प्रोग्राम या चैनल की लोकप्रियता को समझने में मदद मिलती है। अगर किसी प्रोग्राम का टीआरपी ज्यादा है तो इसका मतलब उसे अधिक लोग देख रहे हैं।