भिवंडी के पटेल कंपाउंड बिल्डिंग में 40 जिंदगियां खत्म हो गईं। इसमें कई परिवार का ही खात्मा हो गया। लेकिन परिजनों की आंखें अब भी उम्मीद की किरण जगने का इंतजार कर रही हैं। लेकिन जिलानी बिल्डिंग से किसी के जिंदा निकलने की अब कम ही आशा है।
बारिश, मलबा और चेहरों पर मायूसी, जिलानी बिल्डिंग के इर्दगिर्द अब दुखों का अंबार है। हर मौत की एक कहानी सुनने को मिल रही है। इसमें हुई 40 मौत में से एक कहानी है उस परिवार की जिसे शायद मौत ही लातुर से खींचकर भिवंडी लाई थी। जिलानी बिल्डिंग के दूसरे महले पर आरिफ यूसुफ शेख (35) अपनी पत्नी नसीमा आरिफ शेख व अपने तीन बच्चे निदा(10), लड्डू (8), हसनैन (3) व अपने भाई सोहेल यूसुफ शेख के साथ रखता था। सोमवार को हुए बिल्डिंग हादसे में उक्त परिवार के लोग सोए तो फिर कभी उठे ही नहीं। मलबे से निकली तो एक के बाद एक सभी की बारी-बारी से लाशें। हादसे में अपनी जान गंवानेवाले आरिफ के जीजा यूनुस मेहताब शेख ने बताया कि आरिफ ड्राइवर था। आरिफ का परिवार सोमा नगर में स्थित अपने घर को बेचकर इस बिल्डिंग में तकरीबन सात माह पहले किराए पर रहने आया था। उन्होंने बताया कि आरिफ दूसरे मजले पर हैवी डिपॉजिट देकर बगैर किराए के रहता था। आरिफ का भाई सोहेल लातूर में ग्रेजुएशन कर रहा था। तीसरे साल की परीक्षा देने के बाद चार दिन पहले ही वह भिवंडी में आया था। उसे नई नौकरी लगी थी जहां उसे ज्वाइन करना था। इसे लेकर पूरा परिवार खुश था। लेकिन मौत के झोंके ने पूरा परिवार तबाह कर दिया। अब इस परिवार में कोई बचा है तो सिर्फ आरिफ की एक बहन। जो शादी के बाद अपने ससुराल रहती है। एक दुर्घटना में पूरा परिवार खत्म हो जाने से परिवार में मातम है।