Bhojshala Survey: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) (एएसआई) ने 15 जुलाई (सोमवार) को विवादित भोजशाला परिसर (Bhojshala Complex) (कथित कमाल-मौला मस्जिद) की अपनी वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट (Scientific Survey Report) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) उच्च न्यायालय (High Court) की इंदौर पीठ (Indore Bench) को सौंप दी।
एएसआई के वकील हिमांशु जोशी ने 2,000 से ज़्यादा पन्नों की रिपोर्ट हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को सौंपी। जोशी ने पीटीआई को फोन पर बताया, “मैंने रिपोर्ट सौंप दी है।” उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट 22 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा।
#WATCH | Archeological Survey of India to present a report on Bhojshala Complex in Dhar | Advocate Hari Shankar Jain says, ” Today is a very happy occasion…it has been clear by the (ASI) report today that there used to be a Hindu temple…only Hindu puja should take place… pic.twitter.com/Ewca3Kjs7Z
— ANI (@ANI) July 15, 2024
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देवी सरस्वती का मंदिर
4 जुलाई को हाईकोर्ट ने एएसआई को आदेश दिया था कि वह विवादित 11वीं सदी के स्मारक के परिसर में लगभग तीन महीने तक चले सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करे। यह स्मारक हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद का विषय है। हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। हाईकोर्ट ने 11 मार्च को ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के आवेदन पर पुरातत्व अनुसंधान और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए देश की प्रमुख एजेंसी एएसआई को परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था।
#WATCH | Archeological Survey of India to present a report on Bhojshala Complex in Dhar | Advocate Vishnu Shankar Jain says, ” ASI report is very significant in this case, ASI report approves our case and makes it strong. We had set up a case before Indore High Court that this… pic.twitter.com/qSatM9EnjW
— ANI (@ANI) July 15, 2024
एएसआई का रिपोर्ट प्रस्तुत
इसके बाद एएसआई को सर्वेक्षण पूरा करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया। बाद में एएसआई ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए और समय मांगा। एएसआई ने 22 मार्च को विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में समाप्त हुआ। विवाद के बाद एजेंसी ने 7 अप्रैल, 2003 को स्मारक तक पहुंच के संबंध में एक आदेश जारी किया था। पिछले 21 वर्षों से लागू इस आदेश के अनुसार, हिंदुओं को मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को शुक्रवार को इस स्थान पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति है। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है।
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