मॉनसून के समय मूसलाधार बारिश से मचनेवाली तबाही को रोकने के लिए विहार लेक के अतिरिक्त पानी को भांडुप संकुल के पास स्थित जलशुद्धीकरण केंद्र या एरोली स्थित खाड़ी में गिराने की योजना पर मुंबई महानगरपालिका काम कर रही है। इसकी स्टडी के लिए बीएमसी ने टाटा कन्सल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड कंपनी को सलाहकर नियुक्त किया है। इस हालत में सवाल उठ रहा है कि क्या मुंबई में कभी मीठा पानी के लिए मशहूर मीठी नदी सूख जाएगी?
मीठी नदी की उद्गम स्थली विहार लेक
बता दें कि मीठी नदी की उद्गम स्थली विहार लेक है। कभी मुंबई के लोगों में मीठे पानी के लिए जाने जानेवाली मीठी नदी का अस्तित्व वर्षों से खतरे में है। हालांकि इसके उद्धार की कई बार कोशिश की गई लेकिन आजतक इसके अस्तित्व को बचाने की दिशा मे कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई।
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कभी थी मीठी नदी,अब है नाला
वर्षो से उपेक्षा की शिकार मीठी नदी धीरे-धीरे नाले में तब्दील हो गई है। इस वजह से जब मुंबई के इन इलाकों में मूसलाधार बारिश होती है तो शहर के कुर्ला आदि इलाके में पानी भर जाने से तबाही मच जाती है। बर वर्ष इस तरह के हालात का स्थानीय लोगों को सामना करना पड़ता है। इस वजह से बीएमसी ने विहार लेक के अतिरिक्त पानी को समुद्र की खाड़ी में प्रवाहित करने की योजना बनाई है, लेकिन इससे मीठी नदी का अस्तित्व खत्म हो जाने का खतरा भी पैदा हो गया है। इस योजना के तहत विहार लेक का अतिरिक्त पानी भांडुप संकुल के पास स्थित जल शुद्धीकरण सेंटर में या फिर एरोली के समुद्री खाड़ी में गिराने में गिराया जाएगा।
सलाह के लिए दिए जाएंगे 2 करोड़ 35 लाख रुपए
तत्कालीन मनपा आयुक्त प्रवीणसिंह परदेसी के कार्यकाल में इस योजना का प्रारुप तैयार किया गया था। अब इस काम के लिए मनपा की ओर से टाटा कन्सल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड कंपनी को सलाहकार नियुक्त किया गया है। वह स्टडी कर अपनी रिपोर्ट बीएमसी को सौंपेगी। इस काम के उसे 2 करोड़ 35 लाख रुपए दिए जाएंगे।
खास बातें
- बीएमसी के अंतर्गत आनेवाली मीठी नदी की लंबाईः 11.84 किमी
- एमएमआरडीए के अंतर्गत आनेवाली मीठी नदी की लंबाईः 6 किमी
- नदी और पठार का क्षेत्रः 7295 किमी