Borivali: एक ही लेआउट में दो सोसायटियों को जारी किए गए डीम्ड कन्वेयन्स के आदेश, दो सदस्य पहुंचे हाई कोर्ट

बोरीवली पश्चिम में एक सोसायटी के दो सदस्यों ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खट-खटाया है। मामला एक ही लेआउट में दो सोसायटियों को जारी किए गए डीम्ड कन्वेयन्स के आदेश का है।

103

Borivali: बोरीवली पश्चिम में एक सोसायटी के दो सदस्यों ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खट-खटाया है। मामला एक ही लेआउट में दो सोसायटियों को जारी किए गए डीम्ड कन्वेयन्स के आदेश का है। इन सदस्यों ने इस आदेश को चुनौती दी है। दोनों सोसाइटियों के एक ही आर्किटेक्ट द्वारा जारी किए गए प्रमाणपत्रों में विसंगति पाई गई। आर्किटेक्ट को 12-मार्च-2025 को पेश होने के आदेश दिया गया है।

बोरीवली पश्चिम में एक ही लेआउट में स्थित दो सोसायटियों, श्री सागर दर्शन और ओम सागर सीएचएस लिमिटेड ने एक ही आर्किटेक्ट को काम पर रखकर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष एकतरफा डीम्ड कन्वेयन्स का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन दायर किया । उसके बाद 28-जनवरी-2022 और 18-मई-2022 को दो अलग-अलग आदेश प्राप्त किए।

श्री सागर दर्शन के दो सदस्यों महेश एम. वासु और विनीत गाला ने अपने अधिवक्ता मयूर फारिया के माध्यम से बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष डीम्ड कन्वेयन्स के आदेश को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की।

Mumbai: बोरीवली में दो हाउसिंग सोसाइटियों में अवैध निर्माण, बीएमसी ने जारी किया तोड़क कार्रवाई का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाया कि एक ही आर्किटेक्ट ने दो अलग-अलग प्रमाण पत्र जारी किए, जिसमें दो अलग-अलग सोसायटियों के पक्ष में जमीन देने की सिफारिश की गई थी, जिसमें कुल प्लॉट क्षेत्र से अधिक पूरी तरह से बेमेल था, इसलिए कोर्ट ने आर्कीटेक्ट को 12 मार्च 2025 को पेश होने का आदेश जारी किया।

Mahashivratri festival: श्री काशी विश्वनाथ दरबार में शिवभक्तों का सैलाब , 60 वर्षों बाद बना ऐसा योग

उक्त दोनों सोसायटियां एमसीएस अधिनियम 1960 के तहत पंजीकृत हैं, जिनकी संख्या क्रमशः BOM/WR/HSG/(TC)/2382/1986-87 दिनांक 15.10.1986 और MUM/WR/HSG/(TC)/12452/2004-05 दिनांक 23.06.2004 है।

आर्किटेक्ट ने सागर दर्शन के पक्ष में 31 जुलाई 2021 को प्रमाण पत्र जारी किया, जिसमें सिफारिश की गई कि वे 2081.66 वर्ग मीटर जमीन देने के हकदार हैं। 19 फरवरी-2022 को ओम सागर को जारी किए गए 1305.97 वर्ग मीटर भूमि के हस्तांतरण की सिफारिश की गई।

न्यायालय यह भी जानना चाहता है कि किस आधार पर उक्त वास्तुकार संलग्न क्षेत्र की गणना करता है, क्योंकि न्यायालय को वास्तुकार द्वारा जारी किए गए विभिन्न प्रमाण-पत्र मिले हैं, जिनमें संलग्न क्षेत्र की गणना करने की एक अजीबोगरीब पद्धति अपनाई गई है।

Join Our WhatsApp Community

Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.