Mahrashtra News: 2051 तक मुंबई में हिंदू आबादी सिर्फ 54 प्रतिशत रह जाएगी… जानिए क्या कहती है रिपोर्ट?

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2051 तक मुंबई में हिंदुओं की आबादी 54 फीसदी कम हो जाएगी।

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महाराष्ट्र (Maharashtra) में कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के लिए मतदान (Voting) होना है। इस बीच, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (Tata Institute of Social Science) की एक रिपोर्ट (Report) ने महाराष्ट्र में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई (Mumbai) में बांग्लादेशियों (Bangladeshis) और रोहिंग्याओं (Rohingyas) की आबादी तेजी से बढ़ रही है, जिसका असर शहर के सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर पड़ सकता है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट के अनुसार, 2051 तक मुंबई में हिंदुओं की आबादी 51 फीसदी कम हो जाएगी।

टाटा सोशल साइंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के लिए अवैध प्रवासियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अवैध प्रवासी फर्जी वोटर आईडी कार्ड भी बनवा रहे हैं।

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1961 के मुकाबले 2011 में हिंदुओं की आबादी में कमी आई
मुंबई में जनसांख्यिकी परिवर्तन पर टीआईएसएस की इस रिपोर्ट के अनुसार, 1961 में मुंबई में हिंदुओं की आबादी 88 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 66 प्रतिशत हो गई। वहीं, मुस्लिम आबादी में 1961 में 8 प्रतिशत से 2011 में 21 प्रतिशत तक उछाल देखा गया। अगर ये रुझान जारी रहे, तो अनुमान है कि 2051 तक हिंदू आबादी 54 प्रतिशत से नीचे आ जाएगी, जबकि मुस्लिम आबादी में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।

भाजपा नेता किरीट सोमैया ने अपने ट्विटर पोस्ट में मुंबई में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों की बढ़ती आबादी पर दावा किया है। सोमैया ने लिखा, “मुंबई में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासी बसे हैं, और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि “2051 तक मुंबई में हिंदू आबादी घटकर 54% रह जाएगी।” उनके इस बयान ने राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। सोमैया ने आरोप लगाया कि इस बढ़ती आबादी से मुंबई की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना प्रभावित हो सकती है। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने उनके दावों का खंडन किया है और इसे निराधार और राजनीति से प्रेरित बताया है।

वोट बैंक की राजनीति और फर्जी दस्तावेजों का संकट
रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए इन अवैध घुसपैठियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। फर्जी वोटर आईडी, राशन कार्ड और आधार कार्ड के जरिए इन प्रवासियों को चुनावों में शामिल किया जा रहा है। इससे न केवल मुंबई की सांस्कृतिक पहचान प्रभावित हो रही है, बल्कि शहर की सुरक्षा और स्थिरता भी खतरे में है।

मुस्लिम आबादी अचानक कैसे बढ़ गई?
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, अवैध घुसपैठियों की बढ़ती संख्या मुंबई के स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी और अन्य सार्वजनिक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। गोवंडी, कुर्ला और मानखुर्द जैसे झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाकों में इन घुसपैठियों की बढ़ती संख्या इन बुनियादी सेवाओं की कमी का कारण बन रही है। सार्वजनिक सेवाओं की कमी, गरीबी और बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी स्थानीय निवासियों के लिए बड़ी समस्या बन रहे हैं।

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