कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पारिवारिक संपत्ति वृद्धि मामले में चार सप्ताह के भीतर हलफनामा मांगा है। जिन लोगों के खिलाफ संपत्ति वृद्धि का मामला दायर हुआ है, उन्हें प्रधान न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश 6 सितंबर को दिया गया है। कहा गया है कि इस हलफनामा को 11 नवंबर तक न्यायालय में जमा करना होगा। इसके बाद, वादी को दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
उल्लेखनीय है कि अरिजीत मजूमदार नाम के व्यक्ति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया कि 2011 में पश्चिम बंगाल में सरकार बदलने के बाद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के परिवार के सदस्यों की संपत्ति में असामान्य वृद्धि हुई है। अरिजीत मजूमदार के वकील भाजपा नेता तरुणज्योति तिवारी हैं।
याचिकाकर्ता का आरोप
याचिकाकर्ता का आरोप है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा समय-समय पर जमा किए गए सरकारी हलफनामे में संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस संदर्भ में याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री के भाई समीर बनर्जी की पत्नी कजरी बनर्जी के नाम का उल्लेख किया। वादी ने आरोप लगाया कि कजरी ने कोलकाता नगर निगम चुनाव के उम्मीदवार के रूप में अपने हलफनामे में अपनी सभी संपत्तियों की जानकारी नहीं दी है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से दो संस्थाओं के नाम का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ऐसी कई संस्थाओं में उक्त दंपत्ति का नाम दर्ज है, लेकिन चुनावी हलफनामे में उनका कोई जिक्र नहीं है। कजरी बनर्जी ने हलफनामे में दावा किया कि वह और उनके पति समाज सेवा से जुड़े हैं। बावजूद इसके वे इतनी बड़ी संपत्ति के मालिक कैसे बने? यह प्रश्न याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में रखा गया है। यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे की संपत्ति की की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है।
ममता बनर्जी ने कही थी ये बात
इस आरोप को लेकर मुख्यमंत्री ने हाल ही में धर्मतला के मेयो रोड स्थित तृणमूल छात्र परिषद के स्थापना दिवस कार्यक्रम में कहा था कि मैंने सुना, भाजपा ने मेरे नाम पर केस किया है। मैं पिछले 12 साल से सांसद के तौर पर मिलने वाली पेंशन भी नहीं लेती हूं। सांसद बनने के बाद भी मैंने कभी बिजनेस क्लास में सफर नहीं किया। मुख्यमंत्री के रूप में, मिलने वाले साढे तीन लाख रुपये भी मैं नहीं लेती हूं। जहां मैं रहती हूं वह भी किराए पर है। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी भाई-बहन अलग-अलग रहते हैं, अपने परिवारों के साथ। कभी कभार ही एक-दूसरे से मिलना हो पाता है।