Canada: भारतीय मूल के सांसद ने की सावधानी बरतने की अपील, ट्रूडो सरकार से पूछे ये सवाल

चंद्र आर्या ने अपील करते हुए कहा कि हिंदू कनाडाई शांति से रहें लेकिन सावधानी बरतें। किसी भी तरह की हिंदू फोबिया (hindu phobia) की घटना की जानकारी अपने नजदीकी कानून-व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसी को दें।

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भारत और कनाडा (Canada) के बीच बढ़ते तनाव को लेकर कनाडा में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्या (Chandra Arya) ने कनाडा के हिंदुओं (Hindus) से सावधानी बरतने की अपील करते हुए कहा है कि खालिस्तान समर्थक (Khalistan supporters) नेता कनाडा के हिंदू और सिखों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कनाडा के पीएम ट्रूडो (PM Trudeau) का नाम लिए बगैर कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद का महिमामंडन या किसी धार्मिक समूह को निशाना बनाकर किए जाने वाले घृणित अपराध की मंजूरी कैसे दी जा रही है।

हिंदू-सिखों को बांटने की साजिश
सोशल साइट एक्स पर साझा किए गए वीडियो संदेश में चंद्र आर्या ने अपील करते हुए कहा कि हिंदू कनाडाई शांति से रहें लेकिन सावधानी बरतें। किसी भी तरह की हिंदू फोबिया (hindu phobia) की घटना की जानकारी अपने नजदीकी कानून-व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसी को दें। उनका कहना है कि खालिस्तान समर्थक नेता कनाडा में रह रहे हिंदुओं को उकसा कर हिंदू-सिखों को आपस में बांटने की मंशा रखते हैं। वीडियो संदेश में उन्होंने दावा किया है कि कनाडा में रह रहे सिख समुदाय के ज्यादातर लोग खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते हैं। वे खुल कर इसका विरोध नहीं करेंगे लेकिन वे हिंदू समुदाय के साथ जुड़े हुए हैं।

… तो कनाडा में हड़कंप मच जाएगा
उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद का महिमामंडन या किसी धार्मिक समूह को निशाना बनाकर किए जाने वाले घृणित अपराध की मंजूरी कैसे दी जा रही है। यदि कोई श्वेत वर्चस्ववादी नस्लीय कनाडाई लोगों के किसी समूह पर हमला कर उन्हें देश से बाहर निकलने के लिए कहे तो कनाडा में हड़कंप मच जाएगा।

कौन हैं चंद्र आर्या
कनाडा के ओंटारियो के नपियर से सांसद चंद्र आर्या का जन्म कर्नाटक में हुआ। उन्होंने बैंगलोर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग कर कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया। पढ़ाई पूरी कर चंद्र आर्य ने दिल्ली में डीआरडीओ और कर्नाटक वित्तीय निगम में काम किया। इसके बाद वे कतर गए और कुछ वर्षों बाद कतर से कनाडा पहुंचे। कनाडा की उन्होंने राजनीति में कदम रखा और चुनावी जीत हासिल की। भारतीय मीडिया में वे पहली बार तब चर्चाओं में आए जब कनाडा की संसद में उन्होंने मातृभाषा कन्नड़ में अपनी बात रखते हुए इसे कनाडा में रह रहे पांच करोड़ कन्नड़ भाषियों के लिए गौरवशाली क्षण बताया।

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