मुंबई हाई कोर्ट (Mumbai High Court) ने गुरुवार (31 अक्टूबर) को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) की शिकार नाबालिग लड़की (Minor Girl) को गर्भपात (Abortion) कराने की इजाजत दे दी। 11 साल की एक लड़की के साथ बलात्कार (Rape) किया गया और वह 30 सप्ताह की गर्भवती (Pregnant) थी।
कानून के अनुसार, 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता होती है। जस्टिस शर्मिला देशमुख और जस्टिस जितेंद्र जैन की पीठ ने गुरुवार को ही सरकारी जेजे अस्पताल में एक नाबालिग बच्चे का गर्भपात कराने का आदेश दिया है। पीड़ित बेटी ने अपने पिता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी। याचिका के अनुसार, लड़की यौन उत्पीड़न की शिकार थी। इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है।
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कोर्ट ने क्या कहा?
याचिका के अनुसार, लड़की यौन उत्पीड़न की शिकार है और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। अदालत ने कहा कि संविधान के तहत, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में निर्धारित सीमित परिस्थितियों में 20 सप्ताह तक के गर्भावस्था के मेडिकल समापन की अनुमति दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा, ‘आवेदक एक नाबालिग लड़की है और वह यौन उत्पीड़न की शिकार है। इसलिए, याचिकाकर्ता को गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन की अनुमति दी जाती है।
…तो पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार लेगी
यदि बच्चा जीवित है तो सरकार उसकी जान बचाने के लिए सभी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। यदि नाबालिग लड़की और उसके माता-पिता बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं, तो राज्य सरकार बच्चे की पूरी जिम्मेदारी लेगी।
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