सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को बहुचर्चित वसूली मामले में विशेष कोर्ट में 59 पन्नों को आरोप पत्र पेश किया है। इस आरोप पत्र में सीबीआई ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता तथा पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को मुख्य आरोपित तथा उनके सहायक संजीव पालांडे व कुंदन शिंदे को सह आरोपित ठहराया है।
जानकारी के अनुसार मुंबई की विशेष कोर्ट ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को सरकारी गवाह बनाने की अनुमति बुधवार को दी थी। इसके तत्काल बाद सीबीआई ने कोर्ट में अनिल देशमुख के विरुद्ध आरोप पत्र पेश किया है। इससे अनिल देशमुख की मुश्किलें बढ़ने पर चर्चा हो रही है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये प्रतिमाह रंगदारी वसूली का टारगेट देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था। वकील जयश्री पाटिल ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी, जिससे हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच का आदेश सीबीआई को सौपा था। सीबीआई के निर्देश पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले की मनी लॉड्रिंग एंगल से जांच की और मुंबई ,नागपुर तथा पुणे में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस मामले में ईडी ने अनिल देशमुख , संजीव पालांडे, कुंदनशिंदे को गिरफ्तार किया था , यह सभी इस समय न्यायिक कस्टडी में हैं। इस मामले में सीबीआई ने सचिन वाझे का इकबालिया बयान दर्ज किया है और अब सचिन वाझे सरकारी गवाह बन गए हैं। विशेष कोर्ट ने सचिन वाझे को 7 जून को कोर्ट में हाजिर रहने का आदेश जारी किया है। इसलिए इस मामले में अनिल देशमुख , कुंदन शिंदे तथा संजीव पालांडे पर सीबीआई का शिकंजा कसता नजर आने लगा है।
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