पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन को लेकर कब तक बनेगा कानून? केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया

व्हाट्स ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में विसंगतियां हैं। यूरोपीय देशों में अलग कानून है, जबकि भारत में अलग। यूरोपीय यूजर्स ज्यादा बेहतर प्राइवेसी का उपभोग करते हैं, जबकि भारतीय यूजर्स को उतनी प्राइवेसी नहीं मिलती।

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केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को एक हलफनामा के जरिये बताया है कि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन को लेकर कानून तैयार किया जा रहा है। केंद्र की इस दलील के बाद जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने व्हाट्स ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई जनवरी 2023 तक के लिए टाल दी।

जस्टिस केएम जोसेफ के अलावा इस संविधान बेंच में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ह्रषिकेश राय औऱ जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि व्हाट्स ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती दी गई है। व्हाट्स ऐप को अब फेसबुक (मेटा) ने अधिग्रहीत कर लिया है।

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विस्तृत डाटा प्रोटेक्शन बिल किया जा रहा है तैयार
दीवान ने कहा कि व्हाट्स ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में विसंगतियां हैं। यूरोपीय देशों में अलग कानून है, जबकि भारत में अलग। यूरोपीय यूजर्स ज्यादा बेहतर प्राइवेसी का उपभोग करते हैं जबकि भारतीय यूजर्स को उतनी प्राइवेसी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि प्राइवेसी एक वैश्विक मानवाधिकार है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि संसद से डाटा प्रोटेक्शन बिल वापस ले लिया गया है और एक विस्तृत डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया जा रहा है। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर जनवरी 2023 तक के लिए सुनवाई टाल दी।

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