सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्र्ल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने दो-एक के बहुमत से इस प्रजोक्ट को मंजूरी दे दी । इसके साथ ही नए संसद भवन निर्माण का रास्ता साफ हो गया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पेपरवर्क को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यावरण मंजूरी की सिफारिशें उचित हैं और हम इस पर बरकरार हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना ने जताई असहमति
सुप्रीम कोर्ट की बेंच के जस्टिस खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी ने इस पर सहमति जताई, जबकि संजीव खन्ना ने इस पर असहमति जताई। संजीव खन्ना भूमि उपयोग के बदलाव और परियोजना के लिए पर्यावरण संबधी मंजूरी के फैसले से असहमत थे। लेकिन हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की पूर्व मंजूरी थी। उन्होंने कहा कि इस मामले को सार्वजनिक सुनवाई के लिए वापस भेजा जाना चाहिए।
Central Vista project: Supreme Court says excercise of the power under DDA Act is just and valid. The recommendations of environmental clearance by Ministry of Environment is just, valid and proper and we uphold the same. https://t.co/mDe0P11qXK
— ANI (@ANI) January 5, 2021
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इन निर्देशों के साथ हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रस्तावक को सभी निर्माण स्थलों पर स्मॉग टॉवर लगाने तथा एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल करने का निर्दश दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी जरुरी है। कोर्ट ने परियोजना समर्थकों को समिति से अनुमोदन प्राप्त करने का निर्देश दिया है। इन शर्तों के साथ कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए इसके पुनर्विकास का रास्ता साफ कर दिया। सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सवाल उठाया गया था कि क्या परियोजना में संसद और केंद्रीय सचिवालय भवनों के क्षेत्र में भूमि के उपयोग और पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन किया गया है।
पीठ ने इस संबंध में फैसला सुरक्षित रख लिया था
बता दें कि नवंबर 2020 में पीठ ने इस संबंध में फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछले साल 7 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र को 10 दिसंबर को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी। सरकार ने आश्वासन दिया था कि मामले को शीर्ष अदालत में लंबित होने तक कोई निर्माण या तोड़क कार्रवाई का काम शुरू नहीं किया जाएगा। केंद्र ने पीठ से कहा था कि केवल शिलान्यास समारोह होगा और इस परियोजना के लिए कोई निर्माण, विध्वंस या पेड़ों की कटाई नहीं की जाएगी। पुनर्विकास के लिए भूमि उपयोग में बदलाव को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 21 दिसंबर, 2019 को अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।