चंद्रयान-3 के साथ भेजे गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगातार चंद्रमा की सतह पर शोध कार्य कर रहे हैं। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार है कि, किसी देश ने अपना उपग्रह भेजा और उसे सफतलापूर्वक सतह पर उतारा है। इस बीच एक बड़ी जानकारी इसरो प्रमुख डॉ.एस.सोमनाथ (ISRO Chief Dr.S Somnath) ने साझा की है। जिसमें चंद्रयान-3 (Chandrayan-3) के मुख्य यंत्र विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) को सुलाए जाने की। इसका खगोलीय कारण भी बताया गया है।
चंद्रमा (Moon) के दक्षिण ध्रुव (South Pole) पर सूर्यास्त होनेवाला है, जिसके कारण अगली 5 तारीख के लगभग से अंधेरा छाने लगेगा। यह रात 14 से 15 दिनों की होगी। ऐसी स्थिति में भारतीय अंतरिक्ष अध्ययन के लिए भेजे गए रोवर लैंडर और उसके पे लोड्स क्या करेंगे इसका खुलासा इसरो की ओर से आया है। इसरो ने चंद्रमा पर दिन और रात की अवधि को देखते हुए ही 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर चंद्रयान-3 को उतारा गया था। जब चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरा उस समय वहां सूर्योदय काल था।
लैंडर और रोवर करेंगे आराम
चंद्रमा पर अध्ययन कार्य में लगे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की बैटरियां सूर्य की धूप से चार्ज होती हैं। इसलिए जब चंद्रमा की सतह पर पंद्रह दिनों की रात होगी तो, यंत्रों की सुरक्षा को देखते हुए लैंडर और रोवर को आराम दे दिया जाएगा। इसका परिणाम यह होगा कि, यह यंत्र सुरक्षित रहेंगे और जैसे ही सूर्योदय होगा इनकी बैटरी फिर चार्ज होगी और विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर फिर कार्य पर लग जाएंगे।
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