Rajasthan Borewell News: चेतना अभी भी बोरवेल में, सुरंग के बीच आए पत्थर; आठवें दिन भी रेस्क्यू जारी

राजस्थान के कोटपुतली में तीन साल की चेतना आठवें दिन भी भूखी-प्यासी बोरवेल में फंसी हुई है। उस तक पहुंचने के लिए सुरंग खोदने का काम चल रहा है लेकिन पत्थरों की वजह से काम में देरी हो रही है।

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कोटपूतली (Kotputli) में सात दिनों से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) में चेतना (3) को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। एनडीआरएफ (NDRF) के जवान 170 फीट गहराई में समानांतर सुरंग (Tunnel) खोद रहे हैं, लेकिन नीचे कठोर चट्टानों के कारण खुदाई में लगातार देरी हो रही है। एनडीआरएफ के जवानों ने सोमवार सुबह 6:30 बजे तक करीब 7 फीट लंबी सुरंग खोद ली है।

कोटपूतली के किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी में 23 दिसंबर को 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरकर 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ के जरिए रेस्क्यू टीम उसे केवल 30 फीट ऊपर लाने में सफल हो पाई। बोरवेल में गिरने के बाद से चेतना को पानी या भोजन नहीं पहुंचाया जा सका है।

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प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
24 दिसंबर शाम के बाद से चेतना में कोई मूवमेंट नहीं देखा गया है। कैमरे की मदद से भी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है। जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने इसे राजस्थान का सबसे कठिन रेस्क्यू ऑपरेशन बताया है। चेतना के परिवार और ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।

चेतना को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा
एनडीआरएफ प्रभारी योगेश कुमार मीणा ने बताया कि सुरंग की दिशा और सटीकता जांचने के लिए हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, अजमेर, भीलवाड़ा और खेतड़ी माइंस के इंजीनियरों से मदद ली गई है। मकान निर्माण विशेषज्ञों और एयरफोर्स व बीएसएफ के जवानों ने भी एंगल जांचने में सहयोग किया। सभी के अनुसार ड्रिलिंग सही दिशा में हो रही है। ऑपरेशन के दौरान सॉलिड रॉक की वजह से कठिनाइयां हो रही हैं। एक समय में तीन रेस्क्यू जवान सुरंग में जाते हैं। ऑपरेशन पूरा करने के लिए सभी आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर रही है। अधिकारियों को उम्मीद है कि चेतना को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा।

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