रायपुर के ‘इदारा ए शरीया’ इस्लामी कोर्ट के तीन तलाक को लेकर दिए गए आदेश पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। न्यायालय ने कोर्ट के संचालन पर भी रोक लगाई है। “इदारा ए शरीया” इस्लामी कोर्ट ने अपने आप को संवैधानिक संस्था के रूप में स्थापित कर यह आदेश दिया है, जिसे महिला ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
महिला ने इसे अवैधानिक बताते हुए अपने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। महिला ने इस्लामी कोर्ट के अस्तित्व को भी चुनौती दी है ।
याचिकाकर्ता ने जताई थी आपत्ति
याचिका में बताया गया कि तीन तलाक को अवैधानिक मानते हुए मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक मुस्लिम एक्ट की धारा 4 का प्रावधान किया गया है। लेकिन इस्लामी कोर्ट ने तीन तलाक को स्वीकार कर आदेश जारी कर दिया है। तलाक आदेश में हस्ताक्षर कर मुस्लिम महिला के घर भेजा गया था। तब उन्हें इसकी जानकारी हुई।
पहली ही सुनवाई में लगा दी रोक
21 फरवरी को प्रारंभिक सुनवाई में ही जस्टिस पी सेम कोशी की बेंच ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत तर्कों को स्वीकार कर जारी तलाक आदेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इस मामले में केंद्र सरकार, राज्य शासन और इस्लामी संस्था को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा गया है।
याचिका में क्या है?
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इस मामले में तर्क दिया कि महिला के घर जिस इस्लामिक कोर्ट का आदेश आया है, वह कोई वैधानिक संस्था नहीं है, जिसे कोर्ट के आदेश के रूप में स्वीकार किया जाए। उन्होंने कोर्ट के नाम से जारी इस तरह के आदेश पर भी आपत्ति जताई है।