आर्थिक रूप (Economically) से कमजोर वर्ग के बच्चों (Children) को शिक्षा के अधिकार (Right to Education) के तहत नि:शुल्क शिक्षा (Free Education) देने के मामले में पेश जनहित याचिका (Public Interest Litigation) पर हाई कोर्ट (High Court) ने बड़ा फैसला दिया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (Chhattisgarh High Court) के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की युगलपीठ ने राज्य सरकार को इस मामले पर आदेश से छह महीने के भीतर एक स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया है।।इस मामले को लेकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में पिछली सुनवाई में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसे बुधवार देर शाम जारी कर दिया गया।
दरअसल सीवी भगवंत राव ने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें 6 से 14 वर्ष के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में भी नि:शुल्क शिक्षा देने की मांग की गई थी। उन्होंने तर्क दिया कि शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत इन बच्चों को भी समान अवसर मिलना चाहिए और राज्य सरकार को इस पर स्पष्ट नीति बनानी चाहिए।
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार के पास इस विषय पर कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं बनाया गया है। इस प्रकार, यह न्यायालय राज्य को निर्देश देना उचित समझता है कि वह ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग’ के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के संबंध में नीति तैयार करे, ताकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए में निहित आरटीई अधिनियम की भावना और उद्देश्य को कानून के अनुसार यथाशीघ्र, अधिमानतः आज से छह महीने की अवधि के भीतर प्राप्त किया जा सके।
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