छत्तीसगढ़ के कोरबा में प्रशासनिक और पंचायत व्यवस्था से त्रस्त एक आदिवासी दिव्यांग ने सपरिवार इच्छामृत्यु की मांग की है। यह परिवार सात दशक से अपनी पैतृक जमीन के लिए लड़ रहा है। समस्या का समाधान न होने से परिवार भुखमरी और कुपोषण का शिकार हो रहा है।
कोरबा स्थित पाली तहसील के ग्राम बतरा निवासी उत्तम सिंह शारीरिक रूप से विकलांग है। उत्तम ने दावा किया है कि ग्राम बतरा के पटवारी हल्का नं.-8 स्थित खसरा नं.- 871 की रकबा 110 एकड़ जमीन उत्तम सिंह के पूर्वजों के नाम दर्ज है। लेकिन इस जमीन को ग्राम पंचायत ने दबावपूर्वक दानपत्र लिखवाकर अडिंहामुड़ा तालाब बना दिया है, जिसमें राजस्व अमला की भागीदारी है।
7 दशक से नहीं हुआ समाधान
लगभग 7 दशक से इस मामले का निदान नहीं हो रहा है। उत्तम का आरोप है कि जमीन के कागजों की नकल मांगने पर नकल नहीं दी जाती और न ही सूचना के अधिकार में जानकारी दी जा रही है। कई बार शिकायत और आवेदन करने के बाद भी पाली जनपद सीईओ, सरपंच, सचिव तथा तहसीलदार उसकी शिकायतों की सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
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110 एकड़ जमीन पर कब्जा कर बना दिया तालाब
110 एकड़ जमीन पर फर्जी तरीके से कब्जा कर तालाब बना देने से खेती-किसानी नहीं हो पा रही है, जिससे परिवार भूखों मरने की कगार पर है। उत्तम सिंह ने बताया है कि उनके पास कोर्ट-कचहरी जाने के लिए पैसा नहीं है। उसने कहा है कि समस्या का निदान कराने में असमर्थ हैं तो पूरे परिवार सहित इच्छामृत्यु की स्वीकृति दी जाए।