चीन की चाल से पाकिस्तान हो रहा हलाल!

चीन ने पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति के मद्देनजर मेन लाइन रेलवे परियोजना के लिए छह अरब डॉलर कर्ज की मंजूरी के लिए गारंटी की मांग की है। पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने रेल परियोजना को वित्तीय राशि मुहैया कराने के लिए वाणिज्यिक और रियायती दोनों तरह के कर्ज देने का प्रस्ताव रखा है।

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जिस चीन की शह पर पाकिस्तान भारत और अमेरिका जैसे देशों से दुश्मनी निभाते रहा है, वही चीन अब उसे झटका देने लगा है। चालबाज चीन ने पाकिस्तान को अब पूरी तरह चंगुल में फंसा देखकर उसे अपनी शर्तों पर दोस्ती निभाने को मजबूर कर दिया है। चीन ने पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति के मद्देनजर मेन लाइन रेलवे परियोजना के लिए छह अरब डॉलर कर्ज की मंजूरी के लिए गारंटी की मांग की है। पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने रेल परियोजना को वित्तीय राशि मुहैया कराने के लिए वाणिज्यिक और रियायती दोनों तरह के कर्ज देने का प्रस्ताव रखा है।

बैठक में उठाया मुद्दा
14 दिसंबर 2020 को मेन लाइन रेलवे परियोजना के लिए संयुक्त वित्तीय कमेटी की बैठक में अतिरिक्त गारंटी का मुद्दा उठाया। इस बैठक में शामिल वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि चीन ने बैठक के दौरान अतिरिक्त गारंटी के मुद्दे उठाए , लेकिन पाकिस्तान के साथ साझा समझौते में इसे शामिल नहीं किया गया। इन कागजातों पर दोनों देशों ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

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दोस्त क्यों है नाराज?
गौर करनेवाली बात यह है कि पाकिस्तान ने जी-20 देशों से कर्ज के लिए आवेदन किया है। इस कारण से चीन नाराज है और उसने गारंटी का मुद्द उठाया है। जी-20 देशों से  राहत कर्ज के तहत पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रारुप के मुताबिक पूर्व की शर्तों के अनुसार वह ऊंचे दरो पर वाणिज्यिक कर्ज ले सकता है।

क्या चाहता है पाकिस्तान?
मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान छह अरब डॉलर की रकम एक प्रतिशत ब्याज दर पर हासिल करना चाहता है, जबकि चीन ने वाणिज्यिक और रियायती दोनों श्रेणियों के तहत कर्ज देने की पेशकश की है। इसके साथ ही उसने गारंटी की मांग की है।

कंगाल पाकिस्तान की मजबूरी
कंगाल पाकिस्तान की सच्चाई इससे पहले भी फिर दुनिया के सामने आते रही है। उसने हाल ही में अपने सदाबहार दोस्त चीन से 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 11 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इस कर्ज से सऊदी अरब से लिए गए 2 बिलियन डॉलर यानी करीब 14 हजार करोड़ रुपए के बकाए की आधी रकम वह वापस करेगा। पाकिस्तान के स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान और वित्त मंत्रालय के मुताबिक सऊदी को एक बिलियन डॉलर जल्द ही लौटा दिया जाएगा। बाकी बचा एक बिलियन डॉलर 2021 में जनवरी में लौटाने का समय निश्चित किया गया है। 2020 में कर्ज चुकाने के लिए पाकिस्तान ने चीन से दूसरी बार कर्ज लिया है। कंगाल पाकिस्तान धीरे-धीरे पूरी तरह चालबाज चीन की चंगुल में फंसता चला जा रहा है।

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ब्याज समेत वसूलेगा चीन
इससे पहले सितंबर महीने में उसने चीन से कर्ज लेकर सऊदी अरब को वापस किया था। चीन ने यह रकम करंसी स्वैप एग्रीमेंट के तहत दी है। पाकिस्तान और चीन ने द्विपक्षीय ट्रेड और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए 2011 में यह समझौता किया था। इसके तहत लिए गए पैसे को विदेशी कर्ज नहीं माना जाएगा। लेकिन पाकिस्तान को यह रकम ब्याज  समेत वापस करनी होगी।

सऊदी इसलिए हुआ नाराज
पाकिस्तान और सऊदी अरब के संबंधों में पिछले कुछ महीनों में खटास आ गया है। इसकी शुरुआत तब हुई, जब पाकिस्तान ने सऊदी अरब से कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने को कहा था। लेकिन सऊदी ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया था। इससे नाराज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने उसकी कड़ी आलोचना की थी। इससे नाराज सऊदी अरब ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया था। उसने अपना कर्ज लौटाने के लिए पाक पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया था।

पाक ने की संबंध सुधाारने की कोशिश
इसके बाद पाकिस्तान ने सऊदी से अपने संबंध सुधारने की काफी कोशिश की थी। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी  के साथ ही सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी सऊदी दौरे पर गए थे, लेकिन सऊदी की नाराजगी कम नहीं हुई।

दिवालिया होने की राह पर था पाकिस्तान
वर्ष 2019 में पाकिस्तान दिवालिया होने की राह पर था। आईएमएफ और एशियन डेवलपमेंट बैंक लोन देने को तैयार थे लेकिन शर्तें सख्त होने से इमरान खान ने सऊदी अरब के सामने हाथ पसारा। सऊदी ने पाकिस्तान के लिए 6.2 अरब डॉलर लोन की मंजूरी दे दी। इसमें 3 अरब डॉलर पर साधारण कर्ज था, जबकि 3.2 अरब डॉलर पेट्रोल और डीजल क्रेडिट था। पाकिस्तान को यह कर्ज एक साल में लौटाना था, लेकिन अबतक वह सिर्फ दो किश्त ही चुका पाया है।

कोरोना के कारण सऊदी की आय प्रभावित
कहा ज रहा है कि कोरोना महामारी के कारण सऊदी से ऑयल सप्लाई की मांग होने से सऊदी की आय पर बहुत बुरा असर पड़ा है। इस वर्ष सितंबर में दुनिया की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी सऊदी अरामको के लाभ में 72 फीसदी कमी आई है। इसके बाद सऊदी ने पाकिस्तान को फ्यूल सप्लाई पर रोक लगा दी है। सऊदी ने पाकिस्तान को स्पष्ट रुप से कह दिया है कि जब तक वो कर्ज नहीं चुाकाता, तब तक फ्यूल सप्लाई शुरू नहीं होगा। दूसरी तरफ कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान की तिजोरी खाली है। इस हालत में चीन उसकी मदद कर रहा है।

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