कर्नाटक (Karnataka) के राज्यपाल थावरचंद गहलोत (Governor Thaawarchand Gehlot) ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) के खिलाफ उनके परिवार से जुड़े मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण मामले (Mysore Urban Development Authority) में मुकदमा (Lawsuit) चलाने की अनुमति दे दी है। राज्यपाल थावरचंद गहलोत को दो कार्यकर्ताओं से शिकायतें मिली हैं, जिनमें से एक आरटीआई कार्यकर्ता टीजे अब्राहम हैं। दूसरी शिकायत हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने की थी।
शिकायत में कहा गया है कि सीएम सिद्धारमैया द्वारा कानून का पालन करने के बार-बार दावों के बावजूद सिद्धारमैया की पत्नी को मुडा द्वारा 14 साइटों के आवंटन में स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। इससे पहले, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने भी मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति क्यों न दी जाए। जवाब में, कर्नाटक कैबिनेट ने “दृढ़ता से सिफारिश की” कि राज्यपाल मुख्यमंत्री को जारी किए गए नोटिस को वापस ले लें।
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जानें क्या है मामला?
कर्नाटक में भूमि आवंटन घोटाला सुर्खियों में रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री की पत्नी 2021 में भाजपा के कार्यकाल के दौरान मुडा की लाभार्थी थीं। उस समय, उनकी 3.16 एकड़ जमीन के कथित अवैध अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में उन्हें मैसूर के प्रमुख स्थानों में 38,284 वर्ग फीट जमीन आवंटित की गई थी। मैसूर के केसर गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें उपहार में दी थी। मुआवजे के तौर पर उन्हें दक्षिण मैसूर के एक प्रमुख इलाके में जमीन दी गई। आरोप है कि इसकी कीमत केसर गांव की जमीन से काफी ज्यादा है। इससे मुआवजे की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। सिद्धारमैया ने इस जमीन आवंटन का बचाव करते हुए कहा था कि यह पिछली भाजपा सरकार के दौरान किया गया था।
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