मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नेशनल हेराल्ड के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम से आवंटित जमीन पर व्यावसायिक भवन बन गया और उसमें कई निजी कंपनियों के दफ्तर और शोरूम चल रहे हैं। इस जमीन की जांच के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के आदेश के बाद विभाग एक जांच समिति का गठन करने में जुट है।
80 के दशक में हुआ था जमीन आवंटन
दरअसल, 80 के दशक में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की सरकार ने राजधानी भोपाल के महाराणा प्रताप नगर जोन-1 के इंदिरा कॉम्प्लेक्स में कई मीडिया संस्थानों को अखबार संचालन के लिए बेहद रियायती दर पर जमीनें आवंटित की थीं। इन संस्थानों में एसोसिएटेट जर्नल्स लिमिटेड भी शामिल थी। इस ग्रुप के हिंदी अखबार दैनिक नवजीवन के प्रकाशन के लिए भोपाल में करीब पौने दो एकड़ का प्लॉट सिर्फ एक रुपये वर्ग फीट पर आवंटित किया गया था। यहां प्रिंटिंग प्रेस लगाकर नवजीवन अखबार का पब्लिकेशन भी शुरू किया गया था लेकिन 1992 में इसका पब्लिकेशन बंद हो गया। इसके बाद इस जमीन पर एक बड़ा कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बना दिया गया। वर्तमान में इस भवन पर कई शोरूम और प्राइवेट ऑफिस चल रहे हैं।
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2018 में मामला हुआ उजागर
हालांकि, 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले जमीन के दुरुपयोग का मामला भाजपा के उठाने पर भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने बेहद रियायती दर पर आवंटित जमीन की लीज रद्द कर दी थी। बीडीए के तत्कालीन अध्यक्ष ओम यादव ने आरोप लगाया था कि नेशनल हेराल्ड की मालिक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को आवंटित की गई जमीन की लीज अवधि 2011 में खत्म हो गई थी। इसके बाद कंपनी ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया। इसके विपरीत उसने गैरकानूनी रूप से सरकार से अखबार संचालन के लिए मिला प्लॉट किसी दूसरे को बेच दिया। तब इस बेशकीमती जमीन की कीमत करीब 50 करोड़ रुपये बताई गई थी। इसके बाद बीडीए ने अपने इंजीनियरों से सर्वे करवाकर जमीन एसोसिएटेड जर्नल की लीज रद्द कर दी थी। इसके बाद से यह मामला हाई कोर्ट में लंबित है।
जांच समिति का होगा गठन
मंत्री भूपेन्द्र सिंह के निर्देश पर नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह जांच समिति का गठन करेंगे। संभवतः 8 अगस्त तक यह तय हो जाएगा कि इस जांच समिति में कौन-कौन से अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। यह समिति जमीन आवंटित करने से लेकर उसका लैंड यूज बदलने और कमर्शियल बिल्डिंग बनाने की मंजूरी देने तक की जांच करेगी।