सिखों के विरुद्ध 1984 में हुई हिंसा के प्रकरण में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को फिर झटका लगा हा। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अपने बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देकर जमानत देने की मांग की थी। परंतु, न्यायालय ने उन्हें सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर राहत देने से इन्कार कर दिया।
न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के प्रकरण में सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस प्रकरण में सजा भुगत कर रहे सज्जन कुमार ने स्वास्थ्य आधार पर सर्वोच्च न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। इस पर सीबीआई को हलफनामा दायर करने का आदेश न्यायालय ने दिया था। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने सज्जन कुमार के स्वास्थ्य की जांच रिपोर्ट में सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि उनका स्वास्थ्य ठीक है और जेल में उनका उपचार संभव है।
ये भी पढ़ें – तालिबान सरकार बनाने के लिए तैयार! इनके हाथों में होगी सत्ता की कमान
सज्जन अकेल ऐसे बीमार नहीं…
सर्वोच्च न्यायालय में सीबीआई द्वारा सज्जन कुमार की स्वास्थ्य रिपोर्ट दायर करने के बाद उनके वकीलों ने बताया कि सज्जन मेदांत अस्पताल में अपना इलाज करवाना चाहते हैं। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सज्जन कुमार को गंभीर अपराध में दोषी करार दिया गया है। वे अकेले ऐसे बीमार नहीं है जिन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाए।
इंदिरा की हत्या के बाद हुए थे दंगे
वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के अंगरक्षक ने कर दी थी। इस प्रकरण में 1991 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, परंतु कोई साक्ष्य न मिलने के कारण इस प्रकरण में 1993 में क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी गई थी। इसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। इससे इस प्रकरण में जांच फिर आगे चल पड़ी।
इन दंगों में लगभग 2,800 सिख मारे गए थे जबकि, देश में 3,350 सिख मारे गए थे। इसके आधार पर सुनवाई करते हुए 17 दिसंबर, 2018 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया था। जिसमें सज्जन कुमार को आजीवन कारावास और अन्य आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई गई।
ये है आरोप
सज्जन कुमार पर आरोप था कि सिख विरोधी दंगों के मामले में दक्षिण पश्चिम दिल्ली पाम कॉलोनी के राज नगर भाग-1 में पांच सिखों की हत्या और राज नगर-2 में गुरुद्वारा जलाने का आरोप था। जिसमें नीचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था। जिसे 2013 में पलट दिया गया।