उप्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी, सांप्रदायिक हिंसा पर भी लगाम! जानें, क्या कहती है एनसीआरबी की रिपोर्ट

साल 2021 में पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा की 378 घटनाएं दर्ज हुईं। उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक ही मामला दर्ज हुआ, जबकि महाराष्ट्र में 100, झारखंड में 77 और हरियाणा में 40 घटनाएं हुईं।

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उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर विपक्षी दल राज्य की योगी सरकार पर लगातार सवाल उठाते हैं, लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के आंकड़े इसके विपरीत हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 2019 के मुकाबले 2021 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में क्रमशः 6.2 प्रतिशत और 11.11 प्रतिशत की कमी आई है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट जारी
एनसीआरबी ने साल 2021 में देश में हुए अपराध का आंकड़ा जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में महिला और बाल अपराधों में कमी आई है। साल 2019 में प्रदेश में बच्चों के खिलाफ 18,943 मामले सामने आये थे, जो 2021 में घटकर 16,838 हो गए हैं। बाल अपराधों में 11.11 फीसदी कमी आई है। महिलाओं को लेकर अगर बात की जाये तो 2019 की तुलना में 2021 में महिला अपराधों में 6.2 फीसदी की कमी देखने को मिली है। वर्ष 2019 में महिलाओं के खिलाफ 59,853 मामले दर्ज हुए थे, जो घटकर साल 2021 में 56,083 हो गए हैं। साइबर अपराध के मामलों में भी 22.6 फीसदी की कमी आई है। वर्ष 2021 में साइबर क्राइम के 8,829 मामले सामने आए, जबकि दो साल पहले यानी 2019 में 11,416 मामले दर्ज किए गए थे।

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सांप्रदायिक हिंसा के मामले में महाराष्ट्र नंबर वन, दूसरे नंबर पर झारखंड
इतना ही नहीं प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर गौर करें तो साल 2021 में पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा की 378 घटनाएं दर्ज हुईं। उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक ही मामला दर्ज हुआ, जबकि महाराष्ट्र में 100, झारखंड में 77 और हरियाणा में 40 घटनाएं हुईं। आंकड़े यह भी बताते है कि 2019 और 2020 में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। एनसीआरबी की रिपोर्ट के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब कानून का राज है। योगी आदित्यनाथ की सख्त प्रशासक छवि के कारण प्रदेश की जनता अपने आपकों को सुरक्षित महसूस कर रही है। उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़े तो अभी आए हैं, लेकिन जनता ने 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के साथ ही प्रदेश की बेहतर कानून व्यवस्था पर मुहर लगा दी थी।

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