Dabholkar murder case: दाभोलकर की जैसे ही हत्या हुई, उसी दिन मीडिया, राजनेताओं ने फैसला सुना दिया। दाभोलकर मर्डर केस के आरोपियों के वकील प्रकाश सालसिंगिकर ने स्पष्ट किया कि हमें लगता है कि अधिकारी सही दिशा में जांच नहीं कर सके। वह मामले में फैसला आने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे।
तीन बरी, दो को सजा
बता दें कि नरेंद्र दोभालकर हत्याकांड में 11 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। महाराष्ट्र के पुणे में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) से जुड़े मामलों की विशेष अदालत ने अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में 10 मई को दो लोगों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई और मुख्य आरोपी वीरेंद्र सिंह तावड़े सहित तीन को बरी कर दिया। पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर सुबह की सैर पर निकले दाभोलकर (67) की 20 अगस्त 2013 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कोर्ट के फैसले के बाद प्रकाश सालसिंगिकर ने मामले में विसंगतियों पर प्रकाश डाला।
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आरोपियों के खिलाफ एक भी सबूत नहीं
वकील प्रकाश सालसिंगीकर ने कहा कि गवाहों की फोटो पर लिखा था कि ये आरोपी हैं। हालांकि आरोपी पकड़ में नहीं आए। यह सिद्धांत काम नहीं आया। फिर अलग थ्योरी आई कि हत्या शरद कालस्कर और सचिन अंधुरे ने की थी। इसने भ काम भी काम नहीं किया। शुरू से ही इस मामले को आगे नहीं बढ़ने दिया गया। अभी 2 महीने पहले ही इस केस को चलने देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हजारों पन्नों की चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ एक भी सबूत नहीं था। इसलिए इस केस को चलने नहीं दिया गया। अब कोर्ट ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है।