मुर्दे गुम गए मुंबई के अस्पताल में!

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कोरोना काल में इस महामारी से मारे गए मुर्दों की दुर्गति के रुह को कंपाने के किस्से अब पुराने हो गए हैं। इससे भी बड़ी और नई खबर ये है कि मुंबई के अस्पतालों से 777 मुर्दे गायब हो गए हैं। यह जानकारी सार्वजनिक होने के बाद अस्पतालों के साथ ही मुंबई महानगरपालिका में भी हड़कंप मच गया है।

कहां गायब हो गए 777 मुर्दे?
पिछेल कुछ महीनों में पूरे देश के साथ मुंबई में भी कोरोना महामारी के कहर में कमी आई है। इसके बावजूद हर दिन औसतन 50 लोग कोरोना की चपेट में आकर दम तोड़ रहे हैं। कोरोना महामारी से अब तक मुंबई में कुल 9966 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। लेकिन मुंबई महानगरपालिका के 24 विभागों के मृत व्यक्तियों और महानगरपालिका के महामारी नियंत्रण सेल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में  777 मरीजों का अंतर है।

जुलाई में सबसे ज्यादा लोगों की मौत
मुंबई में कोरोना का पहला मरीज 11 मार्च को पाया गया था। इसके बाद 27 मार्च तक यहां मात्र 5 कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद इस महामारी से मरनेवालों की संख्या हर महीने बढ़ती चली गई। जून महीने में 323 लोगों ने इस महामारी की चपेट में आकर दम तोड़ा। जुलाई में इसमें बढ़ोतरी हो गई और 1721 लोगों ने अपनी जान गंवाई। अगस्त और सितंबर में क्रमशः 1260 और 1236 लोगों पर कोरोना कहर बनकर टूटा, जबकि 23 अक्टूबर तक मृतकों का आंकड़ा  997 रहा।

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आयुक्त का अल्टीमेटम
कोरोना से मरनेवाले लोगों की जानकारी महानगरपालिका द्वारा छिपाने के आरोप लगने के बाद बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने मुंबई के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को 47 घंटे में कोरोना से मरनेवाले लोगों के आंकड़े महानगरपालिका के महामारी सेल को उपलब्ध कराने का अलटीमेटम दिया था। मौत के आंकड़े बीएमसी के पास पहुंचने के बाद यह देखा गया कि मुंबई के 24 विभागों द्वारा प्राप्त आंकड़े बीएमसी के पास से मिले आंकड़े से 777 कम थे।

मरनेवालों में हार्ट और किडनी के रोगी अधिक
मृतकों के दर पर नजर डालें तो इमारतों में रहनेवाले लोगों की झोपड़पट्टी में रहनेवाले लोगों के मुकाबले इस महामारी से मरनेवाले लोगों की संख्या अधिक है। झोपड़पट्टियों में हृदय रोगी, मधुमेह, किडनी,कैंसर आदि बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या मृतकों में अधिक है। इन इलाकों में कई लोगों की मौत कोविड टेस्ट के बिना ही हो गई, जबकि कुछ लोग अपने झोपड़े में मृत पाए गए। ऐसे लोगों के आंकड़े बीएमसी के पास उपलब्ध नहीं हैं। ।

 महानगरपालिका आयुक्त आई एस चहल ने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को कोरोना से मरनेवाले लोगों की जानकारी बीएमसी के महामारी सेल को उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। फिलहाल सेल के पास आंकड़े उपलब्ध हैं। कई बार मृतक व्यक्ति किस विभाग का है, इस बारे में जानकारी मिलने में समय लगता है। बीएमसी मृतकों के नाम लिखकर वे किस विभाग में रहते थे, यह जानकारी प्राप्त कर उनके विभागों का वर्गीकरण करती है। बहुत-से मरीज मुंबई से बाहर के होते हैं। बीएमसी के पास उनकी मौत की जानकारी होती है। लेकिन विभागों के पास उनके बारे में जानकारी नहीं होती है। इस कारण उनका आंकड़ा कम और बीएमसी का आंकड़ा ज्यादा होता है। इस वजह से दोनों के आंकड़ों में 200 से 300 तक अंतर होता ही है।

सुरेश काकाणी, अतिरिक्त आयुक्त, मुंबई महानगरपालिका

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