पाकिस्तान में ईशनिंदा मामले में दोषी दो ईसाई भाइयों की मौत की सजा को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है। इन दोनों भाइयों पर वर्ष 2011 में सोशल मीडिया पर ईशनिंदा की सामग्री अपलोड करने का आरोप है।
लाहौर उच्च न्यायालय की रावलपिंडी पीठ के न्यायमूर्ति राजा शाहिद महमूद अब्बासी और न्यायमूर्ति चौधरी अब्दुल अजीज ने 8 जून को दोषियों कैसर अयूब और अमून अयूब की सजा के खिलाफ अपील खारिज कर दी।
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यह है पूरा मामला
2018 में एक सत्र अदालत ने मुहम्मद सईद की शिकायत पर दोनों ईसाई भाइयों को मौत की सजा सुनाई थी। इन पर पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाया गया था। इन्होंने एक वेबसाइट पर ईशनिंदा पोस्ट किया था। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लाहौर से करीब 300 किलोमीटर दूर तलगांग चकवाल जिले के रहने वाले दोनों भाइयों के खिलाफ 2011 में मामला दर्ज किया गया था।
पैगंबर का अपमान करने की सजा मौत
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून को पूर्व सैन्य शासक और राष्ट्रपति जियाउल हक ने 1980 के दशक में और अधिक कठोर बनाया था। पाकिस्तान में पैगंबर का अपमान करने के लिए अधिकतम सजा के रूप में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।