केरल (Kerala) के वायनाड (Wayanad) में भूस्खलन (Landslide) से मरने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इस हादसे (Accident) में अब तक 357 लोगों की मौत हो चुकी है। एनडीआरएफ, सेना के जवान, स्थानीय प्रशासन की ओर से रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। अब तक मिले सभी शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है। इनमें से 218 मृतकों की पहचान हो चुकी है। 143 लोगों के शवों के टुकड़े ही मिले हैं। विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे 518 लोगों में से 209 को छुट्टी दे दी गई है। लगातार बारिश (Rain) और कीचड़ के कारण बचाव कार्य (Rescue Operations) में बाधा आ रही है।
वायनाड भूस्खलन की घटना को 6 दिन हो गए हैं। सर्च ऑपरेशन छठे दिन भी जारी है। केरल में आज भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। कोझिकोड, वायनाड, कन्नूर और कासरगोड जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
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बचाव कार्य में बाधा
मुख्यमंत्री विजयन के अनुसार, वायनाड में खोज एवं बचाव अभियान अपने अंतिम चरण में है। लेकिन 206 लोग अभी भी लापता हैं। सेना के जवान, एनडीआरएफ टीम, वन विभाग के कर्मी, पुलिस, अर्धसैनिक बल और स्वयंसेवकों सहित 1,400 से अधिक लोग राहत कार्य में शामिल हैं। 1 अगस्त को सेना ने जानकारी दी थी कि मुंडक्कई, चुरालमाला, अट्टामाला और नुलपुझा गांवों में बचाव अभियान खत्म हो गया है। अब सिर्फ मलबे में दबे शवों की तलाश की जा रही है। संभावना है कि कई जगहों पर शव मलबे में 20 से 30 फीट नीचे दबे हुए होंगे। बारिश और कीचड़ के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है।
कई परिवारों की जान चली गई
इस बीच 29 जुलाई को केरल के वायनाड जिले के पहाड़ी इलाकों के चार गांवों में भूस्खलन हुआ। इस भूस्खलन में चार गांव मुंडक्कई, चुरालमाला, अट्टामाला और नुलपुझा मिट्टी के नीचे दब गए। ये सभी गांव जमींदोज कर दिये गये। इस गांव के सभी घर मिट्टी धंसने से दब गये। कई जिंदगियां तबाह हो गईं। भूस्खलन में कई परिवारों की जान चली गई। इन गांवों में रहने वाले नागरिकों के परिजन उनकी तलाश में मौके पर बैठे हुए हैं। वे भी इस राहत और बचाव अभियान में मदद कर रहे हैं।
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