उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में हुईं 228 नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला, सचिव निलंबित

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभा में पत्रकारों से वार्ता की और कहा कि अनियमित ढंग से हुई सभी नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया है।

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उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने विधानसभा सचिवालय में हुई 2016 की 150 नियुक्तियों, वर्ष 2020 की छह नियुक्तियों तथा 2022 की 72 नियुक्तियों को निरस्त करने का फैसला लिया है।

23 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभा में पत्रकारों से वार्ता की और कहा कि अनियमित ढंग से हुई सभी नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया है। विधानसभा भर्ती घोटाले को लेकर विशेषज्ञों की टीम गठित की गई थी, जिसने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। उसके बाद भर्तियों को निरस्त करने के साथ-साथ विधानसभा सचिव को भी निलंबित कर दिया है। विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल पर 78 भर्तियों का आरोप है। इस संदर्भ में गठित समिति ने मात्र 20 दिनों में जांच रिपोर्ट सौंप दी।

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नियुक्तियों को भी निरस्त करने की मांग की
उन्होंने बताया कि समिति के अनुसार विधानसभा कर्मियों ने जांच में पूर्ण सहयोग दिया है। तीन निवर्तमान आईएएस अधिकारियों की समिति ने 214 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी है। समिति ने पाया कि 2016 और 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां की गई थीं उनमें भी अनियमितताएं पाई गई हैं और जांच समिति ने इन नियुक्तियों को भी निरस्त करने की मांग की है।

विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि समिति की रिपोर्ट के अनुसार इन नियुक्तियों के लिए न तो विज्ञप्ति निकली गई थी और न ही परीक्षा आयोजित हुई थी। इतना ही नहीं सेवा योजना कार्यालय से भी नाम नहीं मांगे गए थे। यही कारण है कि समिति की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने वर्ष 2016 की 150 नियुक्तियों, 2020 की 6 नियुक्तियों, 2021 की 72 नियुक्तियों को निरस्त करने के लिए शासन को अनुमोदन किया है। शासन का अनुमोदन आने के बाद इन नियुक्तियों को निरस्त किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ने अनियमित नियुक्तियों के प्रकरण पर विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बताया कि वर्ष 2011 से पहले की नियुक्तियां नियमित हैं उन पर भी कानूनी राय ली जाएगी, लेकिन वर्ष 2012 से लेकर 2021 तक की नियुक्तियां तदर्थ थीं, जिसमें शासन ने नियुक्तियों की आज्ञा दी थी, इसलिए शासन को अनुमोदन के लिए भेजा गया है।

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