Delhi: दिल्ली सरकार जहां प्रदूषण कंट्रोल करने में पूरी तरह विफल रही है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली वालों पर गंदे पेयजल जनित बीमारियों के साथ ही चिकनगुनिया, डेंगू एवं मलेरिया का खतरा पहले से कहीं अधिक मंडरा रहा है।
13 नवंबर को दिल्ली का प्रदूषण अपने चरम पर जा पहुंच गया, कई स्थानों पर पी.एम. 2.5 का स्तर 400 को पार कर गया है तो पी.एम. 10 कि स्तर 1000 के पार पहुंच गया।
दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट के 4 से 5 किलोमीटर के क्षेत्र में हवा में जहरीले कण दुगने हो जाते हैं और ओखला लैंडफिल साइट को लेकर आई रिपोर्ट की वहां कैंसर फैलाने लायक कण भी हवा में पाये गये हैं।
13 नवंबर को दिल्ली एक गैस चेम्बर बन गया और स्थिती इतनी खराब रहा कि शायद अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय को छोड़कर हर दिल्ली वाला खांस रहा है या आंख जलन एवं सिर दर्द की शिकायत कर रहा है।
भाजपा का आरोप
दिल्ली भाजपा ने आप सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली में 400 के आसपास का पी.एम. 2.5 का स्तर ग्रैप 3 लगाने की जरूरत जता रहा है पर दिल्ली सरकार प्रदूषण कंट्रोल पर बिल्कुल गम्भीर नहीं है।
पंजाब से आ रहा पराली का धुंआ हो या टूटी सड़कों से उड़ती धूल हो या फिर प्रतिबंध के बावजूद खुले में चलते निर्माण स्थल सब ने मिलकर दिल्ली वालों का जीवन नरक बना दिया है।
बच्चे और बुजुर्ग अधिक प्रभावित
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा कहते हैं कि छोटे बच्चे एवं बुजुर्ग प्रदूषण के सबसे बड़े शिकार बन रहे हैं, दिल्ली सरकार अविलंब पांचवीं तक के स्कूल बंद करे और बुजुर्गों एवं बच्चों को घर में रहने की सलाह दे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि खेदपूर्ण है कि आज दिल्ली वाले खांस रहे हैं पर दिल्ली में कहीं प्रदूषण के इलाज की दवा देने की सरकारी क्लीनिक नही हैं। तुरंत प्रदूषण से बचाव की दवाएं बांटने की व्यवस्था आवश्यक है।
पर्यावरण मंत्री की बड़ी बड़ी घोषणाओं के बाद भी दिल्ली में कहीं एक जगह वाटर स्प्रिंकलर या स्मॉग गन चलते नहीं मिलते।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली के उपर आज पेयजल जनित बीमारियों के साथ ही चिकनगुनओ, मलेरिया एवं डेंगू का आतंक भी छा रहा है।
2023 से भी बदतर हवा
हाल में दिल्ली नगर निगम एवं दिल्ली के स्वास्थ विभाग के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में गत वर्ष 2023 में दिल्ली के अस्पतालों में हुई 88600 के लगभग मौतों में से 23 प्रतिशत से अधिक यानि 20700 से अधिक मौतों का कारण गंदे पानी से जनित बीमारियों को पाया गया है। हम समझ सकते हैं कि आज गंदा पेयजल कितनी बड़ी समस्या बन गया है।
मानों यही काफी नही था कि दिल्ली नगर निगम से मिले आंकड़ों के अनुसार आज दिल्ली में चिकनगुनिया एवं मलेरिया 2023 के मुकाबले दुगनी तेज़ी से पांव पसार रहे हैं तो वहीं डेंगू भी चिंताजनक स्तर पर बना हुआ है।
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वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि यह कहना अतिशयोक्ति ना होगी की दिल्ली सरकार का स्वास्थ मॉडल फेल हो चुका है और प्रदूषण कंट्रोल पर आतिशी मार्लेना सरकार अपनी पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल सरकार से भी ज्यादा विफल है।
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