दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग कानून यूनिफॉर्म बैंकिंग कोड बनाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कालेधन व बेनामी लेनदेन के लिए एक समान कानून जरूरी है। याचिका पर 5 अप्रैल को सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने विदेशी मुद्रा विनिमय के लिए यूनिफॉर्म बैंकिंग कोड की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय, विधि और न्याय मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने चार हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया। याचिका में कहा गया है कि रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम का उपयोग भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए नहीं किया जाए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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यूनिफॉर्म बैंकिंग कोड लागू
याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि अगर यूनिफॉर्म बैंकिंग कोड लागू किया जाएगा तो इससे कालाधन को रोकने में मदद मिलेगी। याचिका में विदेशी मुद्रा विनिमय के लिए भारतीय बैंकिंग सिस्टम की खामियों को उजागर किया गया है। याचिका में कहा गया है कि विदेश के किसी भी स्रोत से किसी भी भारतीय खाताधारक के खाते में आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस या किसी दूसरे तरीके से धन ट्रांसफर कर सकता है।
इंटरनेशनल मनी ट्रांसफर
याचिका में कहा गया है कि विदेशों से आने वाले धन का देश में आतंकी और दूसरी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे में विदेशों से आने वाले धन को केवल इंटरनेशनल मनी ट्रांसफर के जरिए ही ट्रांसफर करने की इजाजत दी जानी चाहिए ताकि धन भेजने वाले स्रोत का पक्का पता चल सके।
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