Delhi High Court ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार(Convicted in murder and terror funding case) दिए गए यासिन मलिक को फांसी की सजा पर सुनवाई टाल दी(Yasin Malik’s death sentence hearing postponed) है। उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर अगली सुनवाई मई में(Next hearing in May) करने का आदेश दिया।
दरअसल, इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच 14 फरवरी को सुनवाई के लिए उपलब्ध नहीं थी, जिसकी वजह से सुनवाई टल गई है। हाई कोर्ट ने एनआईए(NIA) की याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 मई, 2023 को यासिन मलिक को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता(Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने यासिन मलिक के ऊपर लगे आरोपों को सही पाया था।
सॉलिसिटर जनरल की दलील
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह अजीब है कि कोई भी देश की अखंडता को तोड़ने की कोशिश करे और बाद में कहे कि मैं अपनी गलती मानता हूं और ट्रायल का सामना न करे। यह कानूनी रूप से सही नहीं है। एनआईए के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि मलिक ने कश्मीर के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की।
पटियाला कोर्ट से सुनाई थी उम्र कैद की सजा
पटियाला हाउस कोर्ट ने 25 मई, 2022 को हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने यासिन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और दस लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत दस वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने यासिन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 121ए के तहत दस साल की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि यासिन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसका मतलब की अधिकतम उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये की सजा प्रभावी होगी।
एनआईए का आरोप
एनआईए के मुताबिक हाफिद सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।