Delhi: दिल्ली में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियां इस पर अंकुश नहीं लग पा रही हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। यही कारण है कि उनकी बसावट लगातार बढ़ रही है। दिल्ली में 900 रोहिंग्या ही पंजीकृत हैं। रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी बढ़ने से दिल्ली के साथ ही देश के अन्य क्षेत्रों में भी सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगा है। वर्ष 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की भूमिका सामने आई थी। वर्ष 2022 में जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के मामले में भी बांग्लादेशियों की भूमिका जांच के बाद सामने आई थी।
दिल्ली रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों का ठिकाना
दिल्ली के कालिंदी कुंज के श्रम विहार, कश्मीरी गेट के पास यमुना बाजार के लोहे के पुल के आसपास बसी झुग्गी बस्तियों, जहांगीरपुरी, बवाना, अली गांव, दया बस्ती, सीमापुरी, सराय रोहिल्ला, सोनिया कैंप, शशि गार्डन, संजय बस्ती, यमुना पुस्ता, सोनिया विहार, शकरपूर, केशव पुरम, नजफगढ़ ,भलस्वा डेरी, जेजे कॉलोनी ,प्रेम नगर इलाकों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान रहते हैं।
सभी तरह के काले धंधे संलिप्तता
दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ नेता कपिल मिश्रा कहते हैं कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थी नहीं है। ये घुसपैठिये हैं। ड्रग, मानव तस्करी, जिहाद जैसे काले धंधे इन्हीं की बस्तियों से चलाए जाते हैं। इनको हिरासत में लेना और फिर निर्वासित करना यही एकमात्र समाधान है।
देश की सुरक्षा के लिए खतरा
गृह मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या लोगों ने शरण मांगी है। वहीं शरणार्थी मामलों की संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएचसीआर के 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत में 18 हजार के करीब रोहिंग्या शरणार्थी पंजीकृत है। लेकिन भारत ने संयुक्त राष्ट्र के 1951 के शरणार्थी अधिवेशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ऐसे में भारत की तरफ से जारी शरणार्थी कार्ड को स्वीकार नहीं करता है। इसका मतलब यह है कि भारत में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थीयों को नौकरी, राशन, आवासीय और शिक्षा मांगने का अधिकार नहीं है । इसी कारण से अधिकतर रोहिंग्या शरणार्थी अवैध झुग्गी बस्तियों में रहते हैं और कूड़ा बीनने जैसे काम करते हैं।
दिल्ली पुलिस का स्पेशल सेल
दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2003 में प्रत्येक जिले में एक-एक बांग्लादेशी सेल का गठन किया था । बांग्लादेशी सेल दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में जाकर मुखबिरों से पता लगाकर उनकी धर पकड़ करता था। वर्ष 2003 में बांग्लादेशी सेल द्वारा 50 हजार घुसपैठियों को पकड़ा गया था। लेकिन कुछ साल बाद ही इस सेल को बंद कर दिया गया, जिसके कारण दिल्ली में घुसपैठियों की संख्या बढ़ती चली गई।