रोहिणी जिले के कंझावला केस में दिल्ली पुलिस के जवाब से असंतुष्ट दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने केस को सीबीआई को ट्रांसफर करने का सुझाव देने का मन बनाया है। डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है कि अंजलि के साथ स्कूटी पर बैठी निधि का फोन अब तक जब्त नहीं किया गया है। अभी तक सारे सीसीटीवी फ़ुटेज नहीं खंगाले गये हैं। केस में धारा 302 नहीं लगाई गई है। हादसे की रात पुलिस का रिस्पोंस बेहद खराब रहा है। साथ ही इस घटना के चश्मदीद गवाहों का 164 बयान दर्ज नहीं किया गया है।
मालीवाल ने कहा कि अभी तक की जांच में कई खामियां हैं। दिल्ली पुलिस इस मामले की ठीक से जांच नहीं कर पा रही है, इसलिए दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो और केस सीबीआई को सौंपे जाने की मांग की है। देश इस साल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है और सरकार को राजधानी में कानून व्यवस्था में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा है कि हमें इस वर्ष राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ क्रूर अपराधों को समाप्त करने के लिए मजबूत कदम उठाने का संकल्प लेना चाहिए।
पुलिस की कार्यप्रणाली को मजबूत करने के लिए गृह मंत्रालय से सिफारिश
दो दिन पहले मालीवाल ने दिल्ली में पुलिस की कार्यप्रणाली को मजबूत करने के लिए गृह मंत्रालय को सिफारिशें भेजीं थी। उन्होंने गृह मंत्रालय को ‘निर्भया’ के जघन्य गैंगरेप केस की याद दिलाई है और कहा है कि तब से अब तक कुछ भी नहीं बदला है। दिल्ली में औसतन प्रतिदिन 6 से अधिक बलात्कार हो रहे हैं। यहां तक कि राजधानी में एक 8 महीने की बच्ची और 90 साल की एक महिला के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया है।
डीसीडब्ल्यू ने की यह मांग
डीसीडब्ल्यू ने दिल्ली पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने और राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराधों से संबंधित मुद्दों पर अपने अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। डीसीडब्ल्यू ने मांग की है कि गृह मंत्रालय को कंझावला मामले में उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके एक उदाहरण पेश करना चाहिए, जो दिल्ली की सड़कों पर 12 किलोमीटर तक लड़की को घसीटते हुए बचाने में नाकाम रहे।
संसाधन बढ़ाने की सिफारिश
इस घटना के तुरंत बाद दिल्ली महिला आयोग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर दिल्ली पुलिस में मानव संसाधन बढ़ाने की भी सिफारिश की है। वर्तमान में संसाधनों की कमी के कारण दिल्ली पुलिस कर्मियों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है और सैकड़ों मामलों को संभालना पड़ता है। दिल्ली पुलिस ने 20 साल पहले सरकार से 66 हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की मांग की थी।