Delhi: राजनीति के कारण बढ़ते जा रहें हैं कूड़े के पहाड़ों, पूरा मामला पढ़ें

निस्तारण का काम 2022 से 2024 के बीच पूरा होना था। लेकिन अब उसकी समय सीमा‌ बढकर 2028 तक जा पहुंची है।

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Delhi: राष्ट्रीय राजधानी (National Capital) दिल्ली (Delhi) में कूड़े के पहाड़ों (garbage mountains) यानी सेनेटरी लैंडफिल साइट (sanitary landfill site) का निस्तारण राजनीति के चक्कर में अटका पड़ा है। दिल्ली की तीन लैंडफिल साइट (three landfill sites) समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region) की अन्य साइटों का अभी तक निस्तारण नहीं हो पाया है।

निस्तारण का काम 2022 से 2024 के बीच पूरा होना था। लेकिन अब उसकी समय सीमा‌ बढकर 2028 तक जा पहुंची है।

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स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य प्रभावित
दिल्ली की बात करें तो यहां पर तीन कूड़े के पहाड़ हैं। इसमें गाजीपुर और भलस्वा में अब चार हजार टन नया कूड़ा डाला जा रहा है। इतना नहीं राजनीतिक एवं प्रशासनिक खींचतान के चलते ओखला और भलस्वा लैंडफिल पर कूड़ा निस्तारण का काम भी बंद हो चुका है। गाज़ीपुर लैंडफिल साइट पर जिस गति से कार्य हो रहा है उसे नहीं लगता कि दिसंबर 2028 तक भी यह पूरी तरह से हट‌ पाएगा।

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कूड़े को ढेर को लेकर हो रही है राजनीति
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा दिल्ली नगर निगम में स्थाई समिति की सत्ता‌ पर कब्जा के लिए शह और मात का खेल चल रहा है । दोनों दल इस पर कब्जा करना चाहते हैं लेकिन कभी कानूनी पेचीदगियों , कभी राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी से स्थाई समिति का गठन लंबित है। तीनों कूड़े के पहाड़ों के निस्तारण के लिए 30-30 लाख टन कूड़ा निस्तारण के टेंडर मंजूर होने हैं। लेकिन समिति का गठन न होने से यह मंजूर नहीं हो पा रहे हैं। जिसकी वजह से लैंडफिल साइटों का कार्य अब अधर में लटक गया है।

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वेस्ट टू एनर्जी और बायोगैस प्लांट की क्रियान्वयन मे देरी
दिल्ली नगर निगम दिल्ली नरेला बवाना में 3000 टन प्रतिदिन कूड़ा निस्तारण के लिए कूड़े से बिजली वेज़ टू एनर्जी प्लांट लगाना चाहता है इसकी भी मंजूरी स्थाई समिति से जरूरी है। यह मंजूरी लंबित होने की वजह से कूड़ा निस्तारण की योजना ठंडे बस्ते में जा रही है।

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