दिल्ली के पटियाला हाउस न्यायालय ने आतंकी फंडिंग मामले में हिजबुल मुजाहिद्दीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन समेत दस आरोपितों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया है। एडिशनल सेशंस जज प्रवीण सिंह ने सभी आरोपितों को सात फरवरी को पेश होने के लिए समन जारी किया है।
ईडी ने अगस्त, 2020 में चार्जशीट दाखिल किया था। ईडी की चार्जशीट के मुताबिक मोहम्मद शफी शाह, तालिब लाली, युसूफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन, गुलाम नबी खान, उमर फारुख शेरा, मंजूर अहमद डार, जफर हुसैन भट्ट, नाजिर अहमद डार, अब्दुल माजिक सोफी और मुबारक शाह ने पाकिस्तान के जरिये पहुंचे धन से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए साजिश रची। इसके लिए हिजबुल मुजाहिद्दीन और दूसरे आतंकी संगठनों के कार्यकर्ताओं की मदद ली गई और हथियार और विस्फोटक खरीदे गए।
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आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अधिवक्ता नीतेश राणा और अली खान ने कहा कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हिजबुल मुजाहिद्दीन ने करीब 80 करोड़ रुपये की फंडिंग की। फंडिंग की पूरी जानकारी जुटाने के लिए श्रीनगर के कस्टम और आबकारी विभाग को पत्र लिखा गया ताकि जम्मू-कश्मीर की उन कंपनियों का पता लगाया जा सके, जो टेरर फंडिंग में भारतीय कंपनियों के साथ रहीं।
ईडी ने नवंबर 2019 में टेरर फंडिंग के मामले में बांदीपोरा के मोहम्मद शफी शाह, अनंतनाग के गुलाम नबी और पांच दूसरे संदिग्धों की संपत्तियां जब्त की थी। इन पर आतंकी संगठनों की फंडिंग का आरोप है। सैयद सलाहुद्दीन समेत 12 अलगावादियों के खिलाफ एनआईए ने चार्जशीट दाखिल किया था, जिसके बाद ईडी ने भी मनी लाउंड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
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