दिल्ली हिंसा: शरजील इमाम को बेल या जेल, याचिका पर आएगा फैसला

11 अप्रैल को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने शरजील की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 24 जनवरी को कोर्ट ने इस मामले में शरजील इमाम के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था।

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दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट 14 जुलाई को दिल्ली हिंसा के आरोपित शरजील इमाम की राजद्रोह के मामले में दायर जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत फैसला सुनाएंगे। न्यायालय ने 6 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 30 मई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।

दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने शरजील इमाम को ट्रायल कोर्ट जाकर जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी थी। याचिका में राजद्रोह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को आधार बनाया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के मामलों में केस दर्ज नहीं करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्र सरकार जब तक राजद्रोह के मामले पर दोबारा विचार करेगी, तब तक इस मामले में कोई नया एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राजद्रोह के मामले में जो आरोपी हैं, वे न्यायालय में याचिका दायर कर जमानत की मांग कर सकते हैं।

इस तरह चली सुनवाई
-इस मामले में शरजील इमाम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के मुताबिक भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत जमानत के लिए पहले ट्रायल कोर्ट जाना होगा। अगर ट्रायल कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होती है तो उसके बाद ही हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं।

-उसके बाद शरजील इमाम के वकील तनवीर अहमद मीर ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी जिसके बाद हाईकोर्ट कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

– 11 अप्रैल को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने शरजील की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 24 जनवरी को कोर्ट ने इस मामले में शरजील इमाम के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। कड़कड़डूममा कोर्ट ने राजद्रोह समेत दूसरी धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था।

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-चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी। इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया। यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा।

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