जम्मू-कश्मीर में सीटों के परिसीमन का मामला पहुंचा सर्वोच्च न्यायालय, याचिकाकर्ताओं को है इस बात पर आपत्ति

केंद्र सरकार ने 2020 को एक नोटिफिकेशन जारी कर जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में जम्मू और कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड की विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया था।

98

सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का परिसीमन करने की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। याचिका में जम्मू और कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा की सीटों के परिसीमन का विरोध किया गया है।

हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ. मोहम्मद अयूब मट्टू ने दायर याचिका में कहा है कि परिसीमन आयोग का गठन परिसीमन अधिनियम की धारा 3 के तहत बिना किसी क्षेत्राधिकार और अधिकार के किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से परिसीमन आयोग का गठन करना निर्वाचन आयोग के क्षेत्राधिकार में दखल देना है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में सीटों की बढ़ोतरी संविधान संशोधन करके ही की जा सकती है, क्योंकि संविधान के मुताबिक अगला परिसीमन 2026 में होना चाहिए।

बढ़ गईं सीटें
याचिका में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में विधानसभा की सीटें 107 से बढ़ाकर 114 करना जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 और संविधान की धारा 81,82, 170 और 330 का उल्लंघन है। जम्मू और कश्मीर की प्रस्तावित 114 सीटों में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें भी हैं।

केंद्र सरकार ने जारी किया था नोटिफिकेशन
केंद्र सरकार ने 6 मार्च, 2020 को एक नोटिफिकेशन जारी कर जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में जम्मू और कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड की विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया था। इस आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए था। बाद में 3 मार्च, 2021 को एक और नोटिफिकेशन जारी कर परिसीमन आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए और बढ़ा दिया था। कार्यकाल बढ़ाते समय परिसीमन आयोग का क्षेत्राधिकार केवल जम्मू और कश्मीर के लिए ही रखा गया।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.