Digital Payment: डिजिटल की होड़, भारत बेजोड़

यह रिपोर्ट उपभोक्ता व्यवहार, तकनीकी उन्नति और रणनीतिक स्थिति के संबंध में विभिन्न देशों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा करती है। निश्चित रूप से इसमें भारत की अहम भूमिका दिख रही है।

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कोमल यादव

Digital Payment: तेजी से तकनीकी उन्नति और बदलते आर्थिक प्रतिमानों के दौर में, वर्ल्डपे की 2024 ग्लोबल पेमेंट्स रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में नए दौर में उपभोक्ताओं के वैश्विक भुगतान प्रणाली के तरीके को कैसे नया आकार दिया जा रहा है, इसका महत्वपूर्ण विश्लेषण सामने आया है।

यह रिपोर्ट उपभोक्ता व्यवहार, तकनीकी उन्नति और रणनीतिक स्थिति के संबंध में विभिन्न देशों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा करती है। निश्चित रूप से इसमें भारत की अहम भूमिका दिख रही है।

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नकदी की बदलती भूमिका
रिपोर्ट ने भारत पर प्रकाश डालते हुए एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट में दिखाया गया है कि भारत के उपभोगकर्ता नकदी पर कम निर्भर रहेंगे । भारत में 2019 में नकद लेन-देन पर 71 प्रतिशत निर्भरता के बाद 2023 में मात्र 18 तक तक का भारी बदलाव देखा गया है, जबकि अन्य देश भी यही प्रतिमान दिखाते हैं।

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नकदी लेनदेन में तेजी से गिरावट
देशों में नकदी के लेन-देन में गिरावट देखी गई, जहां जापान में 2019 में 64% नकद लेन-देन था, वहीं 2023 में ये गिरकर 41 % तक आ पहुंची। इसमें 23% का अंतर देखा गया। इसी प्रकार अन्य देश जैसे थाईलैंड, चीन, जर्मनी में नकद लेन-देन में 22, 7 और 36 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। हालांकि, वैश्विक इंडेक्स जिसमें 2019 में 26 प्रतिशत नकद लेन-देन दर्ज किया था, 2023 में 16 प्रतिशत तक गिर गया। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि 2027 तक दुनिया भर में नकद लेन-देन में 10 प्रतिशत की कमी आ जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि नकदी अपने अस्तित्व के अंतिम चरण में होगी, जिससे 100 प्रतिशत डिजिटल भुगतान गेटवे के द्वार पूरी तरह से खुल जाएंगे।

The share of cash transactions is rapidly declining across the world as consumers turn to digital wallets.

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डिजिटल इंडिया के सफल कार्यक्रम वजह
UPI की लोकप्रियता डिजिटल वॉलेट मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। अनुमान है कि सभी UPI लेनदेन का 95 प्रतिशत सिर्फ तीन डिजिटल वॉलेट से ही किया गया है। Google Pay, Paytm और PhonePe । 2023 में डिजिटल वॉलेट खर्च ई-कॉम मूल्य का 56 प्रतिशत था। UPI तेजी से नकदी की जगह ले रहा है। कोविड-19 महामारी से पहले, नकद 71 प्रतिशथ हिस्सेदारी के साथ सबसे ज्यादा व्यक्तिगत भुगतान प्रणाली थी, जो 2023 तक गिरकर सिर्फ 18 प्रतिशत रह गई। नकदी के कम होने की वजह डिजिटल इंडिया के सफल कार्यक्रम को बताया गया है। भारत के UPI ने अमेरिका और ब्रिटेन के डिजिटल भुगतान को पीछे छोड़ दिया है।

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डिजिटल वॉलेट में वृद्धि
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल वॉलेट में 7 प्रतिशत की वृद्धि होगी, क्योंकि 2023 में यह 70 प्रतिशत था, जो अब 2027 में 77 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है, जो ई-कॉम भुगतान पद्धति का नेतृत्व करेगा। इसके अलावा, यह क्रेडिट और डेबिट कार्ड लेनदेन में 3 और 2 प्रतिशत की गिरावट का संकेत देता है। हालांकि, रिपोर्ट में उजागर हुआ है कि 2027 के अंत तक कैश ऑन डिलीवरी में 10 प्रतिशत की कमी आएगी।

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डिजिटल वॉलेट्स में अभूतपूर्व वृद्धि
नकदी अपने सभी रूपों में सहस्राब्दियों और औद्योगिक युग के दौरान राज करती रही है। इंटरनेट और ई-कॉमर्स के उद्भव ने वैकल्पिक भुगतान विधियों के आगमन की शुरुआत की। आज, डिजिटल नवाचारों ने भुगतान विकल्पों की एक निरंतर विस्तारित श्रृंखला उत्पन्न की है। उपभोक्ताओं के पास पहले से कहीं अधिक भुगतान विकल्प हैं। हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं जो तकनीक द्वारा नहीं, बल्कि लोगों द्वारा परिभाषित है।

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डिजिटल वॉलेट्स का उदय
वर्ल्डपे की रिपोर्ट के अनुसार स्टैंडआउट ट्रेंड्स में से एक डिजिटल वॉलेट्स का प्रमुख उदय हुआ है, जो वैश्विक ईकॉमर्स लेन-देन मूल्य का 50 प्रतिशत हिस्सा कैप्चर करता है। डिजिटल वॉलेट्स की ओर यह कदम पारंपरिक भुगतान विधियों से बदलाव को दर्शाता है, जो तेज़, अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक लेन-देन विधियों की मांग से प्रेरित है। जुनिपर रिसर्च ने 2028 तक दक्षिण पूर्व एशिया के बाजार में क्यूआर कोड भुगतान में 590 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का अनुमान लगाया है।

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डिजिटल वॉलेट के मुख्य चालक
केंद्रीय बैंकों और संघों द्वारा शुरू किए गए डिजिटल रियल-टाइम भुगतान जोकि भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI), इंडोनेशिया में BI-FAST, मलेशिया में DuitNow, फिलीपींस में BancNet, सिंगापुर में PayNow और थाईलैंड में PromptPay हैं क्यूआर कोड के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे प्रदान करते हैं, भुगतान प्रणाली को आधुनिक बनाने में मदद करते हैं, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हैं और साथ ही नकद भुगतान पर निर्भरता को कम करते हैं।

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डिजिटल भुगतान में भारत टॉप पर
UPI : 2016 में लॉन्च किया गया यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सेंट्रल बैंक द्वारा प्रायोजित है। देश में पारंपरिक नकद आदान प्रदान को बदलने के उद्देश्य से Google Pay, PayTM, PhonePe, MobiKwik, Amazon Pay आदि सहित वाणिज्यिक डिजिटल वॉलेट की सहायता करता है। डिजिटल वॉलेट का ई-कॉमर्स मूल्य अच्छा है।

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लेनदेन में आसान
इसके अलावा इंटरऑपरेबिलिटी एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें किसी भी एक्सचेंज – बीएसई, एनएसई या एमएसईआई – पर निष्पादित किए गए ट्रेडों को किसी भी क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के माध्यम से निपटाया या क्लियर किया जा सकता है और यह आवश्यक नहीं है कि यह उस एक्सचेंज के क्लियरिंग कॉर्पोरेशन तक ही सीमित हो, जिस पर ट्रेड किया गया। इस प्रणाली ने इंटरकनेक्टिविटी को आसानी से पारित करना संभव बना दिया है। डिजिटल वॉलेट के उपयोग से बैंकों के माध्यम से लेन-देन आसान और अधिक कुशल हो गया है।

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चुनौतियां और सुझाव
भारत का नया नेतृत्व दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले बाजार में भुगतान परिदृश्य को बदलना जारी रखता है। एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) तत्काल भुगतान प्रणाली घरेलू स्तर पर रिकॉर्ड तोड़ रही है क्योंकि यह जापान में संभावित विस्तार सहित वैश्विक स्तर पर जाने की ओर अग्रसर है। PwC रिपोर्ट के अनुसार UPI में 2027 तक प्रतिदिन 1 बिलियन लेनदेन होंगे। इसके फायदों के साथ-साथ नुकसान भी है। वर्तमान में कुछ बाधाएँ हैं जिनसे देशों को अभी भी निपटना है जैसे कि उच्च धोखाधड़ी के कारण डिजिटल भुगतान में सीमित विश्वास, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वीकृति के बुनियादी ढाँचे में कमी, कई उत्पादों में लेनदेन विफल होना और सीमित वित्तीय शिक्षा, विशेष रूप से कमज़ोर समूहों के बीच। ये ऐसी खामियाँ हैं जिन्हें देशों को अपने प्रभावी विकास के लिए दूर करने की आवश्यकता है। दूसरी ओर, इस डिजिटल लहर को संभव बनाने के लिए सुझाए गए हस्तक्षेप यह होने चाहिए कि संबंधित देशों की सरकारें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की शक्ति का और अधिक उपयोग कर सकें।

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