जेजे अस्पताल में 750 रेजिडेंट डॉक्टरों ने 1 जुन सुबह से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इसका असर यहां स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है, जिससे मरीज बेहाल हैं। दूसरी ओर, अस्पताल की प्रमुख डॉ. पल्लवी सापले ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है। हड़ताली डॉक्टरों की नाराजगी खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
दरअसल, जेजे अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने 31 मई को डॉ. तात्याराव लहाने तथा डॉ. रागिनी पारेख के विरुद्ध शिकायत की थी। इस पर नेत्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. रागिनी पारेख, वरिष्ठ डॉ. तात्याराव लहाने, डॉ. शशि कपूर, डॉ. दीपक भट, डॉ. सैली लचने, डॉ. प्रीतम सामंत, डॉ. स्वर्णजीत सिंह भट्टी, डॉ. अश्विन बाफना और डॉ. हेमालिनी मेहता ने बुधवार शाम को इस्तीफा दे दिया था।
रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी शिकायत में कहा है कि छह माह पुराने डॉक्टरों को मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं करने दिया जाता है, जबकि नए डॉक्टरों को भी शामिल किया जाना चाहिए। डॉ. तात्याराव लहाने ने कहा कि नियमानुसार तीन साल पुराने डॉक्टरों को ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने का अधिकार है। रेजिडेंट डॉक्टरों की शिकायत के बाद जेजे अस्पताल की प्रमुख उनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए अब काम करना मुश्किल हो गया है, इसी वजह से हम सभी नौ डाक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है।
जेजे अस्पताल की प्रमुख डॉ. पल्लवी सापले ने कहा कि उनके कार्यालय में किसी भी डॉक्टर का इस्तीफा नहीं पहुंचा है। नेत्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. रागिनी पारेख का 15 दिनों के अवकाश पर रहने का आवेदन उनके कार्यालय में आया है। रेजिडेंट डाक्टरों की शिकायत की अभी जांच जारी है। वह सभी को समझाने का प्रयास कर रही हैं। अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं पर फिलहाल कोई असर नहीं हुआ है।
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रेजिडेंट डॉक्टरों ने जेजे अस्पताल के डॉ. तात्याराव लहाणे और नेत्र विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. रागिनी पारेख पर कार्रवाई के लिए आज सुबह से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इससे आज सुबह से ही जेजे अस्पताल में मरीजों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का असर मुंबई सहित राज्य के अन्य अस्पतालों में होने की संभावना है।
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